ओलोंग चाय चीन की पारंपरिक चाय है। इसे विशेष विधि से तैयार किया जाता है। ओलोंग के पौधे की पत्ती, डाली और कलियां-तीनों का उपयोग चाय में होता है।
यह कैमेलिया साइनेन्सिस (Camellia sinensis) नाम के पौधे की पत्तियों से तैयार किया जाता है। इन्हीं पत्तियों का इस्तेमाल ग्रीन और ब्लैक टी के लिए भी किया जाता है।
ओलोंग चाय की पत्तियों में एंजाइम की मौजूदगी होती है, जो ऑक्सीडेशन नामक एक रासायनिक प्रतिक्रिया का निर्माण करती है। ऑक्सीडेशन के कारण हरी चाय की पत्तियों का रंग...
गहरे काले रंग में तब्दील हो जाता है। हालांकि, ग्रीन टी के मुकाबले इस चाय की पत्तियों में ऑक्सीडेशन अधिक होता है। इसलिए इससे बने चाय का रंग रंग गहरा होता है।
मधुमेह पर नियंत्रण
वजन घटाने में सार्थक
तनाव प्रबंधन
हड्डियों को मजबूत करता है
कैंसर की कोशिकाओं को विकसित होने से रोकता है
शरीर से विषैले तत्वों के बाहर निकालता है
यह एक हर्बल सप्लिमेंट है। कुछ शोध यह बताते हैं कि ओलोंग चाय में मौजूदा कैफीन सेंट्रल नर्वस सिस्टम, हृदय और मांसपेशिओं को उत्तेजित करता है।
खाने में पाई जाने वाली ओलोंग चाय की मात्रा बच्चों के लिए सुरक्षित बताया गया है। प्रेग्नेंसी और ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान प्रतिदिन 2 से 3 कप इस्तेमाल करना चाहिए।
ओलोंग चाय पाए जाने वाली कैफीन चिंता के विकार बढ़ा सकती है। कैफीन की मात्रा बढ़ जाने से खून में थक्का विकसित हो सकता है। कैफीन की मात्रा हृदय पर सीधा असर करती है। हृदय के मरीज को यह चाय नियंत्रित मात्रा में ही लेनी चाहिए।
चाय उच्च मात्रा में लेने से दस्त हो सकता है। ओलोंग चाय शरीर से निकलने वाले यूरिन में कैल्शियम की मात्रा बढ़ा देता है। इसलिए इसके अत्यधिक इस्तेमाल से हड्डिया कमजोर हो सकती है। ज्यादा इस्तेमाल से अनिद्रा की समस्या पैदा हो सकती है।
इसे दिन में दो बार लेना सुरक्षित है। बच्चों, गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं को इसका उपयोग चिकित्सक के परामर्श के मुताबिक करना चाहिए।
मेंटल स्वास्थ्य सुधारने के लिए इसे दिन में एक बार लेना सही है। ओवेरियन कैंसर के मरीज को दिन में दो बार यह चाय पीनी चाहिए।
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