Ankylosing Spondylitis के मामले में हिप ज्वाइंट में दर्द होना मरीजों के लिए आम है लेकिन इस दर्द को झेलना बेहद मुश्किल साबित होता है।
सूजन अक्सर sacroiliac (SI) जोड़ों में शुरू होती है
नई दिल्ली : Ankylosing Spondylitis (AS) के मरीजों में आमतौर पर हिप ज्वाइंट में दर्द की समस्या होती है। यह सूजन अक्सर sacroiliac (SI) जोड़ों से शुरू होती है। यह वह हिस्सा है जहां रीढ की हड्डी का निचली हिस्सा जुडा होता है। एसआई ज्वाइंट में सूजन एंथेसाइटिस (एन्थेस की सूजन) भी पैदा कर सकता है। इसकी वजह से टखनों, पैरों, घुटनों, पसलियों और कंधों सहित अन्य जोड़ भी प्रभावित हो सकते हैं।
ज्यादातर मरीज यह सोचते हैं कि AS मुख्य रूप से रीढ को प्रभावित करता है और मरीज अपना ज्यादतर ध्यान रीढ को समस्या मुक्त करने की ओर केंद्रित करता है लेकिन इस रोग में कूल्हे का प्रभावति होना उतना ही आम है, जितना रीढ की हड्डी। दरअसल, रीढ की हड्डी का संपूर्ण बेस आपका कूल्हा ही होता है। ऐसे में अगर कूल्हे में समस्या हुई और इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो रीढ की हड्डी भी समस्याग्रस्त होने लगती है। इसलिए कई विशेषज्ञ रीढ की हड्डी के साथ कूल्हे को भी लेकर सतर्क और जागरुक रहने की सलाह देते हैं।
वर्ष 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, AS के मामले में क्लिनिकल हिप इन्वाल्वमेंट का प्रसार 24% से 36% तक बताया गया है। इस बीमारी से पीडित मरीजोें में रेडियोग्राफिक हिप गठिया (इमेजिंग में प्रमाणित) की व्यापकता 9% से 22% तक होती है। रिपोर्ट के लेखक ने खासतौर से इसका उल्लेख किया है! इसके लिए सिनोवियल (संयुक्त अस्तर) सूजन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस प्रकार की पुरानी सूजन की वजह से हड्डी का क्षरण (नुकसान) होता है और जोड़ों का स्थान सिकुड़ जाता है। कूल्हों में होने वाली ऐसी क्षति, वैसी ही हो सकती है जैसी एक अलग प्रकार की सूजन संबंधी गठिया में देखने को मिलती है, जिसे चिकित्सकी भाषा में रुमेटीइड गठिया कहा जाता है।
वर्ष 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, AS वाले मरीजों में हिप ज्वाइंट इंवाल्वमेंट उच्च स्तर की विकलांगता से जुड़ी होती है। जबकि, इस रोग के मामले में शारीरिक परिवर्तनों को एक्स-रे के माध्यम से दिखने में कई वर्ष लग सकते हैं। यानि समस्या आपके शरीर में शुरू हो भी चुकी होगी तो जल्दी एक्स-रे में नहीं दिखेगी। यही कारण है कि इस रोग का निदान करना अन्य रोगों के मुकाबले कुछ अधिक जटिल साबित होता है। हालांकि, चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) स्कैन AS से संबंधित शारीरिक परिवर्तनों का पता लगाने के लिए ज्यादा उपयोगी माना जाता है लेकिन इस जांच की लागत इतनी ज्यादा होती है कि एक साम!न्य मरीज के लिए तत्काल एमआरआई कराना आसान नहीं होता। एमआरआई समय पर नहीं होने से रोग के निदान में भी काफी वक्त लग सकता है। इसके बाद जबतक इस बीमारी के बारे में पता चलता है, शरीर में नुकसान हो चुका होता है, जिसे रिवर्स नहीं किया जा सकता।
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यहां समझने की बात यह है कि मरीज की अपनी आर्थिक मजबूरियों के चलते एमआरआई करवाने में देर करता है और जब वह किसी तरह आर्थिक संसाधन जुटाकर एमआरआई करवाता है, तबतक हिप ज्वाइंट में परिवर्तन हो चुका होता है। जब एमआरआई की जांच रिपोर्ट सामने आती है, तब पता चलता है कि मामला काफी आगे बढ चुका है। यानि, इस बीमारी के उपचार में प्रमुख बाधाओं में से एक आर्थिक समस्या है। जिसके कारण समय पर मरीज उपचार नहीं करवाते।
हिप ज्वाइंट में दर्द महसूस हो तो विशेषज्ञ के पास जाने में कभी न करें देर :
अगर आपको पता है कि आप AS से पीडित हैं और अचानक आपके कूल्हों में दर्द, अकडन या किसी भी तरह की परेशानी महसूस होती है तो तत्काल अपने रूमेटोलॉजिस्ट या उपलब्ध विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेने की कोशिश करें। कूल्हे में दर्द शुरू होने का मतलब है कि शरीर में समस्याओं का दायरा अब बढने की ओर है। जिसका निदान और प्रबंधन समय रहते नहीं किया गया, तो यह समस्या विकलांगता की ओर ले जा सकती है।
Ankylosing Spondylitis : हिप ज्वाइंट पेन से राहत के लिए आजमा सकते हैं ये उपाए :
AS हिप ज्वाइंट में दर्द और अन्य लक्षणों के प्रबंधन में मुख्य लक्ष्य दर्द को दूर कर गतिशीलता (मोबिलिटी) बनाए रखने का होता है। इसके अलावा मरीज को अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने की दिशा में भी नियमित और समयबद्ध प्रयास जारी रखना चाहिए। इससे विकलांगता की संभावना कम होती है और शरीर बीमारी से ग्रस्त होने के बावजूद गतिशील बना रहता है। कुलमिलाकर देखा जाए तो AS ऐसी चालाक बीमारी है, जो इस मौके की तलाश में होती है कि आप कब आराम की मुद्रा में आए और वह अपना काम तेजी से शुरू कर दे।
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हिप ज्वाइंट और अन्य हिस्सों में भी होने वाले दर्द का प्रबंधन आमतौर पर घरेलू उपचार, व्यायाम, वजन संतुलित रखकर, शारीरिक उपचार के तौर पर किया जा सकता है। जब मामला हद से आगे बढ जाए, पीडा असहनीय हो जाए और कोई और विकल्प शेष न बच गया हो तो अंतिम उपाए के रूप में ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी करवानी पडती है। ये कुछ ऐसे उपाए हैं, जिनकी मदद से आप ज्वाइंट में होने वाली सूजन और दर्द को नियंत्रित करने की कोशिश कर सकते है। AS के मामले में कई बार इन उपायों से काफी राहत भी मिलती है और कई बार जरूरत के मुताबिक राहत नहीं भी मिलती है लेकिन कुलमिलाकर उपाए करना ही एक बेहतर विकल्प होता है।
हीट या कोल्ड थेरेपी :
गर्म और ठंडी थेरेपी, दर्द के मामले में माना हुआ उपाए है, जिसे अगर तरीके से किया जाए तो इसका लाभ मिलता है लेकिन AS के मामले में ज्यादा जरूरी यह है कि पहले आप यह पता लगाएं कि आपके लिए हीट कोल्ड, हीट, या सिंर्फ कोल्ड थेरेपी कारगर है। इन तीनों में से कोई एक तरीका आपको जरूर राहत दे सकता है। कई बार हीट-कोल्ड कॉम्बिनेशन राहत दे सकती है। एक बार आपको यह सूत्र मिल जाए कि आपके शरीर को कौन सी थेरेपी फायदा पहुंचा रही है, फिर आप कुछ हदतक राहत में आ सकते हैं। वैसे अक्सर ऑर्थो-न्यूरो पेन में कोल्ड थेरेपी ज्यादा कारगर साबित होती है।
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अगर किसी की गर्दन में दर्द है और वह दर्द कंधे और कॉलर बोन तक रिफलेक्ट कर रहा हो तो कोल्ड पैड से थेरेपी करने पर राहत मिल सकती है। ज्यादातर मामलों में यह भी देखा गया है कि कूल्हे की दर्द में हीट थेरेपी ज्यादा कारगर है। कुछ मरीजों में दोनो ही थेरेपी कारगर होती है। ध्यान रहे कि कोई भी थेरेपी 20 मिनट से अधिक न करें और दिन में दो से तीन बार ही करें। ज्यादा करने पर हड्डियों में पानी भरन या किसी और तरह की समस्या भी हो सकती है।
आप विकल्प के तौर पर गुनगुने पानी से स्नान भी कर सकते हैं। दरअसल, इस सबके पीछे कोई रॉकेट साइंस नहीं है बल्कि चिकित्सकीय विज्ञान का सामान्य नियम ही काम करता है। कोल्ड थेरेपी के मामले में 20 मिनट आप दर्द वाले स्थान और उसके आसपास जब आईस या कोल्ड पैक रखते हैं तो यह दर्द वाले क्षेत्र को सुन्न कर देता है और आपके मसल्स और नर्व को रिकवर करने का मौका मिल जाता है। कोल्ड थेरेपी करते हुए आईसपैक और त्वचा के बीच एक पतला कपडा जरूर रख लें। आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि कोल्ड या आईस पैक पर निर्देश लिखा रहता है कि इसके अंदर मौजूद लिक्विड मेेें कुछ रासायनिक प्रभाव हो सकता है, जो आपकी त्वचा को नुकसान भी पहुंचा सकता है।
फोम रोलर से पाएं राहत :
फोम रोलर फोम का एक बेलनाकार टुकड़ा होता है, जिसका उपयोग आप अपने कूल्हों सहित अपने शरीर के अन्य क्षेत्रों में आसानी से कर सकते हैं। इसके दो लाभ हैं एक तो इससे मसाज मिलता है तो दूसरा रक्त की आवाजाही को भी यह सूचारू करने में मदद करता है। सबसे खासबात यह है कि अगर आपके पास फोम रोलर है तो मालिश के लिए आपको किसी दूसरे पर निर्भर नहीं रहना पडेगा। इस दिशा में ज्यादातर स्टडी में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि कूल्हे के दर्द में फोम रोलर काफी फायदेमंद है। इसे भी आजमाते हुए आपको इस बात का ध्यान रखना है कि आप मसाज हल्के हाथों से ही और सीमित समय के लिए ही करें।
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वैसे भी अगर AS से प्रभावित मरीज ज्यादा दम लगाकर मसाज ले तो यह फायदा करने के बजाए दर्द और सूजन बढा देता है। इस बात की जानकारी बहुत कम ही लोगों को है। इसलिए यह ध्यान रखें कि अगर आप AS से पीडित हैं तो कभी भी दम लगाकर मसाज लेने की सोचिए भी मत। फोम रोलर को इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण किसी भी फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ से लिया जा सकता है। इस प्रशिक्षण को लेने के बाद अगर आप इसका इस्तेमाल करें तो किसी तरह का जोखिम नहीं रह जाएगा।
स्ट्रेचिंग :
स्ट्रेचिंग से कूल्हे के दर्द और जकड़न दोनों को कम करने में मदद मिल सकती है, अगर यह सुबह के समय किया जाए। ऐसा इसलिए कि सुबह में की गई स्ट्रेचिंग आपको दिनभर गतिशील बनाए रखने में मदद करेगी। इससे आपको मानसिक रूप से भी राहत मिलेगी। इस मामले में भी पहले किसी फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ से प्रशिक्षण लेना ज्यादा बेहतर साबित होगा।
सामान्य व्यायाम :
व्यायाम सभी के लिए अच्छा है और यह आपके शरीर को मजबूत और लचीला बनाए रखने में मदद करता है। नियमित व्यायाम का विशेष लाभ यह है कि यह आपका वजन कभी असामान्य नहींं होने देगा। अगर आपका वजन संतुलित रहेगा तो कूल्हों और अन्य जोड जो सूजन से प्रभावित हैं, उनपर अतिरिक्त बोझ नहीं होगा। अगर सूजन और दर्द वाले हिस्से पर असामान्य रूप से दवाब न पडे, तो आप दर्द बर्दाश्त कर सकते हैं। जोडों पर अत्यधिक या असामान्य दवाब या तनाव नुकसान को हवा दे सकती है।
स्पॉन्डिलाइटिस एसोसिएशन ऑफ अमेरिका (एसएए) के मुताबिक, व्यायाम आपके AS के उपचार योजना का खास हिस्सा है। यह इस बीमारी के कुछ प्रभाव को कम करने में भी सहायक है। इसके अलावा यह शरीर को लचीला और सक्रिय रखने में भी कारगर है, अगर व्यायाम नियमित किया जाए। दर्द ज्यादा रहने की स्थिति में व्यायाम करने से बचना चाहिए। दर्द कम होने के बाद आप दोबारा व्यायाम कर सकते हैं। हिप ज्वाइंट को सही रखने के लिए व्यायाम करना चाहते हैं तो सबसे बेहतर तरीका है कि आप पहले अपने रुमोटोलॉजी विशेषज्ञ से इसकी चर्चा करें। वह आपकी इच्छा को ध्यान में रखते हुए कुछ जरूरी इमेजिंग या रोडियोलॉजी से संबंधित जांच करवा सकते हैं।
जब वह आपको आपके जोडों की ताजा स्थिति के बारे में बताएंगे तो यह जानकारी आप किसी विशेषज्ञता प्राप्त फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ से शेयर कर सकते हैं। वह आपके रूमेटोलॉजिस्ट की राय के आधार पर आपके लिए वैसे व्यायाम निर्धारित कर सकते हैं, जो खासतौर से आपके हिप ज्वाइंट को सुरक्षित रखने में मदद करेगा। सामान्य तौर पर, ज्यादातर AS से पीडित लोगों को यह पता है कि चलना, तैरना, साइकिल चलाना, योग और पिलेट्स इससे आराम पाने और दुष्प्रभाव से बचाए रखने का सुरक्षित तरीक हैं। उच्च प्रभाव वाली गतिविधियों जैसे : तेज दौडना और उछलना समस्या बढा भी सकता है और कई बार घातक भी साबित हो सकता है।
ज्यादा वजन है तो कम करने में जुटना रहेगा फायदेमंद :
अतिरिक्त वजन है तो इसे कम करने में ही भलाई है। ऐसा करने से आप सीधेतौर पर अपने कूल्हों को राहत देंगे क्योंंकि आपके अतिरिक्त वजन को उठाने की जहमत आपका कूल्हा ही तो उठाता है। पहले से ही समस्याग्रस्त कूल्हे को और अधिक वजन उठाना पडे, तो स्थिति और अधिक बिगड सकती है। वजन कम करने से अन्य जोडों में भी दर्द से राहत मिलेगी।
वर्ष 2018 के एक अध्ययन में पाया गया कि एक व्यक्ति जितना अधिक वजन कम करता है, उतना ही कम जोड़ों का दर्द होता है। उस अध्ययन में पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस वाले 8 मरीजों को शामिल किया गया था। यह सभी असामान्य वजन वाले मरीज थे। विशेषज्ञों ने अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि 10% से 20% वजन घटाने से दर्द, कार्य और जीवन की समग्र गुणवत्ता में 5% वजन घटाने वालों के मुकाबले बेहतर होता है।
मतलब यह कि आप अपने अतिरिक्त वजन में से जितना घटाएंगें, उतनी अधिक राहत भी पाएंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक वजन कम करने वे सूजन में भी राहत मिलती है। 2018 की ही एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, मोटापा निम्न-श्रेणी की सूजन को ट्रिगर भी करता है और उसे बनाए भी रखता है। जितनी अधिक सूजन होगी उतना ही अधिक दर्द का अनुभव भी होगा। अनियंत्रित सूजन अंततः संयुक्त क्षति और विकलांगता की ओर ले जाती है।
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