दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर एक ताजा अध्ययन में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। देश की राजधानी में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को एचआईवी-एड्स की तुलना में कहीं अधिक घातक और उम्र कम करने वाला करार दिया गया है।
नई दिल्ली : दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति पर हालिया अध्ययन ने चिंता बढा दी है। वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए कितना घातक साबित हो सकता है, इस रिपोर्ट में सामने आया है। यह अध्ययन शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) ने किया है। विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण को भारत में मानव स्वास्थ्य के लिए बडी चुनौती और खतरा बताया है।
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चौंकाने वाला खुलासा यह भी किया गया है कि देश में मौजूद वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर लोगों की उम्र में करीब पांच साल तक कम करने के लिए काफी है। अगर वार्षिक औसत प्रदूषण का स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं हुआ तो देश के सबसे प्रदूषित राज्य दिल्ली में लोगों की उम्र औसतन 10 वर्ष तक कम हो सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पीएम 2.5 का स्तर 5 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से कम रहना चाहिए। इसके ठीक उलट देश की 63% आबादी उस जगह पर निवास करती है, जो भारत के तय मानक (40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) से भी ज्यादा प्रदूषण की मार सहन कर रही है।
गंभीर बीमारियों से भी ज्यादा घातक साबित हो रही है प्रदूषण की समस्या :
अध्ययन में कहा गया है कि वायुप्रदूषण दुनियाभर में औसत जीवन में 2.2 वर्ष तक कम करने का कारण साबित हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक असुरक्षित पानी का इस्तेमाल, शराब का इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के मुकाबले प्रदूषण तीन गुना अधिक घातक है। वहीं एचआईवी-एड्स के मुकाबले यह 6 गुणा अधिक खतरनाक है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेश के बाद भारत दूसरा सबसे प्रदूषित देश है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बीमारी का बोझ कम करने के लिए 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर का लक्ष्य निर्धारित किया है। पिछले वर्ष एक्यूएलआई के विश्लेषण के बाद यह सामने आया कि औसतन लगभग 9.7 वर्ष की जीवन प्रत्याशा के साथ दिल्ली सबसे प्रदूषित राज्य भी था। इसी वर्ष के विश्लेषण के मुताबिक उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और त्रिपुरा शीर्ष पांच प्रदूषित राज्यों में शुमार हैं। यहां प्रदूषण का स्तर लोगों की उम्र में गिरावट की वजह बन रहा है।
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