एएस के एडवांस स्टेज के मरीजों में विकसित हो सकता है बम्बू स्पाइन
नई दिल्ली।टीम डिजिटल :
एएस (AS) से पीडित मरीज अपने स्पाइन (Spine) को बेहतर तरीके से समझ लेते हैं, तो बम्बू स्पाइन (Bamboo Spine) के विकास को रोकने में मदद मिल सकती है। ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। अक्सर जानकारी के अभाव में मरीजों की समस्या एडवांस स्टेज में पहुंच जाती है और उसके बाद कई और समस्याएं भी विकसित होने का खतरा बना रहता है। यहां हम आपको स्पाइन और बम्बू स्पाइन से संबंधित कुछ जरूरी जानकारियों को साझा कर रहे हैं।
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बम्बू स्पाइन क्या है?
बम्बू स्पाइन (Bamboo Spine) को समझने के लिए स्वस्थ स्पाइन के घटको को समझना जरूरी है। मनुष्य की स्पाइन में 33 हड्डियों का एक स्तंभ होता है, जिसे कशेरुक (vertebrae) कहा जाता है जो आपकी रीढ़ की हड्डी सुरक्षा करता है। इसके अलावा इसमें तंत्रिकाओं (nerves) का एक बंडल होता है, जो आपके शरीर और आपके मस्तिष्क के बीच संकेत भेजता है। कशेरुक निकायों (vertebral bodies) के बीच लचीली डिस्क होती हैं जिन्हें इंटरवर्टेब्रल डिस्क (intervertebral disc) कहा जाता है, यह कशेरुक के लिए कुशन का काम करती है।
इसकी वजह से रीढ़ में लचीलापन बना रहता है। कशेरुक भी स्नायुबंधन (ligaments) द्वारा समर्थित होता है। यह पीठ को अधिक झुकने से रोकता है। एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के मरीजों में स्पाइन की संरचना में असामान्यताएं विकसित हो जाती है। “एंकिलोसिस” हड्डियों के संलयन को संदर्भित करता है और “स्पॉन्डिलाइटिस” का मतलब है ” रीढ़ की सूजन या बीमारी।”
इम्यून सिस्टम के बागी होने से क्यों होती है स्पाइन प्रभावित?
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) आमतौर पर बैक्टीरिया और वायरस जैसे बाहरी आक्रमणकारियों के संक्रमण से लडती है। एएस के मामले में यही प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के खिलाफ बागी हो जाती है। इम्यून सिस्टम जब स्पाइन को प्रभावित करती है, तो इसकी रिपेयरिंग का निर्धारित चक्र टूट जाता है। नतीजतन सूजन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। आगे चलकर यह स्नायुबंधन और डिस्क को कठोर हड्डी में बदलकर कशेरुकाओं को एक साथ फ्यूज कर देता है।
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इस प्रक्रिया को ऑसिफिकेशन (ossification) कहते हैं। ऑसिफिकेशन और परिणामी एंकिलोसिस – हड्डी का संलयन (bone fusion) – धीरे-धीरे पीठ को अत्यंत कठोर कर देता है। समय के साथ स्पाइन का लचीलापन सीमित होने लगता है। एक्स-रे जैसी इमेजिंग परीक्षणों पर एंकिलोज़्ड स्पाइन बम्बू (Bamboo) जैसा दिखता है। इसी वजह से इस स्थिति को बम्बू स्पाइन (Bamboo Spine) कहते हैं।
बम्बू स्पाइन के कारण होने वाली समस्या :
एएस (AS) से संबंधित पीठ दर्द सामान्य तौर पर sacroiliac जोड़ों में शुरू होता है। यह ज्वाइंट पीठ के निचले हिस्से को कूल्हों से जोड़ता है। इन जोड़ों में सूजन को सैक्रोइलाइटिस (sacroiliitis) कहा जाता है। दर्द पीठ के निचले हिस्से और फिर अंत में मध्य-पीठ (thoracic spine) और ऊपरी पीठ (cervical spine) तक फैल सकता है। इसका दर्द नितंब या कूल्हे में महसूस कर सकते हैं।
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स्पाइन में फ्रैक्चर का बढ जाता है जोखिम :
एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के मरीजों की स्पाइन में फ्रैक्चर (fracture in the spine) की संभावना अधिक होती है। स्पाइन के झुक जाने की वजह से यह खतरा बढ जाता है। उपचार के बिना, स्पाइन विकृत हो सकता है और प्राकृतिक वक्रता खो सकती है।
स्पाइन के अप्राकृतिक झुकाव को किफोसिस (kyphosis) कहते हैं। लंबे समय तक प्रतिरक्षण प्रणाली के हमले के कारण स्पाइन सहित अन्य जोडों या हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) की समस्या भी हो सकती है। बम्बू स्पाइन और ऑस्टियोपोरोसिस दोनों होने पर फ्रैक्चर का जोखिम कई गुणा अधिक बढ जाता है। जिसके कारण जरा सी चोट या दवाब से हड्डी टूट सकती है।
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इस तरह होती है बम्बू स्पाइन की जांच :
रेडियोग्राफिक इमेजिंग
लक्षण और उनकी शारीरिक परीक्षा
एक्स-रे
एमआरआई
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