Thursday, November 21, 2024
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Gangaram Hospital : एयरवे और वॉयस रेस्टोरेशन सर्जरी की बदौलत 7 साल बाद बोल पडा बच्चा

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caas india : ‘airway and voice restoration surgery

दिल्ली के सर gangaram Hospital के विशेषज्ञों ने इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया।

 नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Gangaram Hospital : एयरवे और वॉयस रेस्टोरेशन सर्जरी की बदौलत 7 साल बाद बोल पडा बच्चा- एयरवे और वॉयस रेस्टोरेशन एक जटिल सर्जरी है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के विशेषज्ञों ने इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया। जिसके कारण मरीज सात साल बाद फिर से बोलने में सक्षम हो गया।

 राजधानी दिल्ली के सर गंगाराम अस्प्ताल (Gangaram Hospital) में एक जटिल मगर सफल सर्जरी से 13 वर्षीय बच्चे की आवाज लौट गई। डॉक्टरों के अनुसार मरीज एक दुर्लभ किस्म की समस्या से पीडित था। सर्जरी पूरे 6 घंटों तक चली। डॉक्टरों के मुताबिक पिछले 15 सालों में उनके सामने इस तरह की समस्या नहीं आई थी। बच्चा अब स्वस्थ है और परिजनों को संतोष है ​कि उनका बच्चा अब बोल पा रहा है और उसे भोजन करने में भी समस्या नहीं हो रही है।

यह है पूरा मामला :

राजस्थान के 13 वर्षीय मरीज श्रीकांत (बदला हुआ नाम) को बीते अप्रैल के अंतिम सप्ताह में सर गंगा राम अस्पताल (Gangaram Hospital) लाया गया। जहां उसका उपचार थोरैसिक सर्जरी और ईएनटी विभाग के विशेषज्ञों की निगरानी में शुरू की गई। मरीज की श्वास नली में 10 से अधिक वर्षों से ‘ट्रेकोस्टोमी ट्यूब’ डाली गई थी। ‘ट्रेकियोस्टोमी’ की लंबी अवधि और ‘विन्ड्पाइप’ के एक हिस्से के नहीं होने के कारण, उसके लिए सामान्य रूप से सांस लेने के लिए कोई ‘एयरवे (airway)’ नहीं था। बच्चे ने पिछले 7 वर्षों से न तो सामान्य रूप से बात की थी और न ही कुछ खाया था।

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सर गंगा राम अस्पताल (Gangaram Hospital) के डिपार्टमेंट ऑफ़ ईएनटी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनीष मुंजाल के मुताबिक “जब मैंने पहली बार मरीज को देखा, तो मुझे लगा यह एक बहुत ही जटिल ‘एयरवे और वॉयस बॉक्स सर्जरी’ साबित होगी। ऐसा मामला मैंने पिछले 15 वर्षों में कभी नहीं देखा था। इस बच्चे को ‘क्रिकॉइड (Cricoid)’ और ‘विंड पाइप (Tracheal Complex)’ में 100% ‘स्टेनोसिस (ब्लॉकेज)’ था। इस बड़ी जटिलता के कारण ‘री-एनेस्टामोसिस (फिर से सर्जरी)’ संभव नहीं थी। सर्जरी बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण थी।

इस तरह की सर्जरी की जटिलताओं को देखते हुए सर गंगा राम अस्पताल ने डिपार्टमेंट ऑफ़ ईएनटी, डिपार्टमेंट ऑफ़ थोरैसिक सर्जरी, पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर डिपार्टमेंट और डिपार्टमेंट ऑफ़ एनेस्थीसिया से लिए गए डॉक्टरों का एक पैनल गठित करने का फैसला किया।

डिपार्टमेंट ऑफ़ थोरैसिक सर्जरी के चेयरपर्सन डॉ. सब्यसाची बाल के अनुसार “हमने एयरवे के ‘क्रिको-ट्रेचियल रिसेक्शन’ को ऑपरेट करने का निर्णय लिया। यह एक जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी है, जिसमें असफलता का अत्यधिक जोखिम होता है। इस सर्जरी के दौरान मरीज की जान जाने का भी खतरा रहता है। हमें यह सर्जरी इसलिए भी करनी पडी क्योंकि मरीज के पास इस जोखिम को लेने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। डॉक्टरों ने यह जानकारी परिजनों को दे दी थी। 23 अप्रैल को बच्चे की सर्जरी की गई। सर्जरी लगातार 6 घंटों तक चली। इसमें डिपार्टमेंट ऑफ़ ईएनटी, डिपार्टमेंट ऑफ़ थोरैसिक सर्जरी और डिपार्टमेंट ऑफ़ एनेस्थीसिया की टीमों ने हिस्सा लिया।

विशेषज्ञों ने ऐसे दिया सर्जरी को अंजाम :

डॉ. मनीष मुंजाल के मुताबिक चूंकि वॉयस बॉक्स के पास 4 सेंटीमीटर ‘एयरवे पाइप’ पूरी तरह से नष्ट हो चुकी थी और इसे फिर से ठीक नहीं किया जा सकता था, ऐसे में पहली चुनौती ‘एयरवे’ के ऊपरी और निचले हिस्सों को जितना संभव हो सके पास लाकर इस अंतर को कम करना था। इसके लिए ‘वॉयस बॉक्स’ को उसकी सामान्य स्थिति से नीचे लाने के लिए ‘लेरिंजियल ड्रॉप’ प्रक्रिया की गई।”

डॉ. सब्यसाची बाल ने बताया कि ” जब ‘वॉयस बॉक्स’ को नीचे लाया जा रहा था, तब हमने ‘विंड पाइप’ के निचले हिस्से को छाती में उसके आस-पास के अटैचमेंट से अलग किया और ‘विंड पाइप’ को ‘वॉयस बॉक्स’ की ओर खींच लिया।”

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डॉ. मनीष मुंजाल के मुताबिक “आखिरकार, सबसे महत्वपूर्ण और कठिन हिस्सा बुरी तरह से ‘स्टेनोज्ड (अवरुद्ध) क्रिकॉइड हड्डी’ का ऑपरेशन करना था। यह ‘वॉयस बॉक्स’ के नीचे एक ‘घोड़े की नाल’ के आकार की हड्डी है, जिसमें दोनों तरफ ‘मिनट वॉइस नर्वस (minute voice nerves)’ होती हैं और यह मुख्य रूप से आवाज और एयरवे की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होती है। हमने ‘क्रिकोइड्स की हड्डी’ वाले हिस्से को चौड़ा करने के लिए ड्रिल की एक प्रणाली का इस्तेमाल किया।

हमें ‘लारेंजियल नर्वस (आवाज के लिए जिम्मेदार नसों)’ को सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ी। अगर ये क्षतिग्रस्त हो जाते तो आवाज कभी वापस नहीं आती। अंत में ‘एयरवे’ के ऊपरी और निचले दोनों किनारों के हिस्सों को एक साथ लाया गया और वापस जोड़ा गया। सर्जरी पूरी तरह से सफल रही, लेकिन चुनौतियां अभी भी थीं। सर्जरी के बाद प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण था।

डिपार्टमेंट ऑफ़ पीडीऐट्रिक्स इंटेंसिव केयर के निदेशक डॉ. अनिल सचदेव के मुताबिक “बच्चे की छाती में ‘एयरवे’ के रिसाव का बहुत अधिक जोखिम था, इसलिए बच्चे को 3 दिनों तक गर्दन के बल (ठोड़ी को छाती की ओर बंद करके) रखा गया। साथ ही, उसे लो प्रेशर ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया ताकि उसे किसी तरह का ‘ट्रॉमेटिक एयर लीक’ न हो। बच्चे को 3 दिन के लिए आईसीयू में रखा गया और ठीक होने में कोई दिक्कत नहीं थी। बच्चे को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

परिजनों का नहीं है खुशी का ठिकाना :

बच्चे के पिता अमित कुमार के मुताबिक परिवार के लोग अब काफी खुश हैं। बच्चा जो न तो बोल रहा था और न ही खा रहा था और बार-बार अपने सामान्य जीवन को याद कर रहा था, अब स्कूल जाने लगा है। बच्चे ने 7 साल बाद पहली बार बात की और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने बिना किसी बाहरी मदद के सांस ली। अब सामान्य रूप से खाना खा रहा है।

Gangaram Hospital : एयरवे और वॉयस रेस्टोरेशन सर्जरी की बदौलत 7 साल बाद बोल पडा बच्चा

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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