दिल्ली के एक निजी अस्पताल में दुर्लभ बीमारी से पीडित बच्चे को सर्जरी के बाद नया जीवन मिला है। विशेषज्ञ के मुताबिक सर्जरी जटिल थी और इसमें काफी जोखिम था लेकिन सफतापूर्वक सभी प्रक्रियाओं को अंजाम देकर बच्चे को बीमारी से निजात दिला दिया गया।
नई दिल्ली : दिल्ली के एक निजी अस्पताल में तीन माह के मासूम को जन्मजात और दुर्लभ बीमारी से निजात मिली है। बच्चे को ऑब्स्ट्रक्टेड टोटल एनोमलस पल्मोनरी वेनस कनेक्शन नामक जन्मजात रोग था। इसे सायनोटिक हार्ट डिजीज भी कहा जाता है।
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अपोलो अस्पताल के सीटीवीएस विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉ. राजेश शर्मा ने एनेस्थेटिस्ट डॉ. नित्या बिसार्या की मदद से इस सर्जरी को अंजाम दिया। सर्जरी के बाद बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया था।
इस रोग से पीडित मरीज में ऑक्सीजन युक्त रक्त हृदय तक नहीं पहुंचता, बल्कि नसों से जुड़ जाता है। जन्म के समय प्रियांश का वजन भी बेहद कम था। उसके होंठ और नाखून भी नीले पड़ने लगे थे। इसके बाद धीरे-धीरे उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगी थी।
अस्पताल के बाल एवं हृदय रोग विभाग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. मनीषा चक्रवर्ती के मुताबिक, बीमारी के बाद भी बच्चा केवल इसलिए जीवित था क्योंकि हृदय से शरीर का संपर्क कायम था। सामान्य परिस्थिति में जीवित रहने के लिए लाल यानी अच्छा रक्त नीले रक्त के साथ मिलता है। प्रियांश में यह संबंध मामूली था और सर्किट एरिया में संकुचन की स्थिति बनी हुई थी। इसके कारण फेफड़ों पर अत्यधिक दबाव बना हुआ था। इसके कारण बच्चे का शरीर नीला पड रहा था और दूध पीने और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
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डॉ. मनीषा चक्रवर्ती के मुताबिक अस्पताल में भर्ती किए जाने के समय बच्चे की स्थिति गंभीर बनी हुई थी। वह भारी सांस ले रहा था। टीम ने तत्काल बच्चे का ईको किया, जिसमें इस दुर्लभ जन्मजात बीमारी से पीडित होने का खुलासा हुआ।
यह मरीज के लिए आपात स्थिति थी। जिसके कारण बच्चे की उसी दिन तत्काल सर्जरी की गई। सर्जरी के बाद बच्चे को 11 दिनों तक आईसीयू में रखा गया। भर्ती के समय बच्चा बहुत गंभीर था। भारी सांस ले रहा था। टीम ने तुरंत इको किया और उससे इस दुर्लभ जन्मजात हृदय बीमारी का पता चला।
यह एक आपात स्थिति थी, इसलिए सर्जरी उसी दिन की गई। हार्ट और फेफडे की कार्यप्रणाली सामान्य होने तक बच्चे को हार्ट विशेषज्ञ डॉ. विशाल सिंह की निगरानी में रखा गया।
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