Friday, November 22, 2024
HomeLatest Researchमच्छरों के जरिए ही डेंगू-चिकनगुनिया पर कसेगी नकेल 

मच्छरों के जरिए ही डेंगू-चिकनगुनिया पर कसेगी नकेल 

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now

वैज्ञानिकों ने मच्छरों के जरिए डेंगू-चिकनगुनिया (Dengue – Chikungunya) जैसी बीमारियों को रोकने की योजना तैयार की है। इससे मच्छर जनित रोगों से बचने में मदद मिलेगी।


  • डेंगू और चिकनगुनियां (Dengue – Chikungunya) जैसी बीमारियों के प्रसार को रोकने में मिलेगी मदद

नई दिल्ली : बारिश के मौसम में मच्छर सिर्फ काटते ही नहीं हैं, बल्कि अपने डंक से बीमार भी कर देते हैं। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया यह सभी रोगों को फैलाने के पीछे ये भिनभिनाते हुए मच्छर ही ​जिम्मेदार है। देश के महानगरों और खासकर बडे शहरों में मानसून और बारिश के मौसम में मच्छर बडी मुसीबत सा​बित होते हैं। मच्छरों की खास चर्चा इन दिनों इसलिए हो रही है कि इन घातक और रोगजनक मच्छरों पर नकेल कसने में मच्छर ही मददगार बनेंगे।


दरअसल, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वेक्टर कंट्रोल रिसर्च सेंटर (VCRC) ने ऐसी मादा मच्छरों को विकसित किया है, जो नर मच्छरों के साथ मिलकर लार्वा पैदा करेंगे, जो वास्तव में एंटी डेंगू-चिकनगुनिया साबित होगी क्योंकि ये डेंगूू-चिकनगुनिया फैलाने वाले वायरस से प्रभावित ही नहीं हो पाएंगे। अगर यह किसी को काटते भी है, तो इनमें वायरस की मौजूदगी नहीं होगी। ऐसे में लोगों के संक्रमित होने  की आशंका भी कम होती चली जाएगी।  ऐसी इसलिए होगा क्योंकि इनके अंदर इन बीमारियों के वायरस नहीं रहेंगे और जब वायरस नहीं रहेंगे तो इनके काटने से इंसान संक्रमित भी नहीं होंगे। 

डेंगू और चिकनगुनिया से स्वयं को और परिवार को रखें सुरक्षित – MyGov Blogs

Oct 16, 2018 मलेरिया कि तरह डेंगू भी मच्छरों के काटनें से ही फैलता है इन मच्छरों को Aedes Mosquito, …
पुडुचेरी स्थित ICMR-VCRC द्वारा एडीज एजिप्टि (Aedes aegypti) की दो कॉलोनियां विकसित की गई हैं। इन्हें wMel और wAIbB वोलबशिया स्ट्रेन से संक्रमित किया गया है। अब इन मच्छरों का नाम एडीज एजिप्टी (PUD) है, जो डेंगू और चिकनगुनिया के वायरस को नहीं फैलाएंगे। VCRC इस प्रयोग में पिछले चार सालों से जुटा हुआ है।
VCRC के डायरेक्टर डॉ. अश्विनी कुमार के मुता​बिक इन मच्छरों को स्थानीय क्षेत्रों में छोड़ने के लिए अनेक प्रकार की सरकारी अनुमतियां लेनी होंगी। हमने डेंगू और चिकनगुनिया को खत्म व नियंत्रित करने के लिए खास तरह के मच्छरों की फौज तैयार की है। हम मादा मच्छरों को छोड़ेंगे ताकि वह नर मच्छरों के साथ मिलकर ऐसे लार्वा पैदा करें जो डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले वायरस से पूरी तरह से मुक्त हो। डॉ. अश्निनी कुमार के मुताबिक इन मच्छरों को छोड़ने की हम पूरी तैयारी कर चुके हैं। अब सिर्फ सरकार की ओर से अनुमति मिलने का इंतजार किया जा रहा है। जैसे ही अनुमति मिलती है, हम इन मच्छरों को स्थनीय क्षेत्रों में छोड देंगे। 

मच्छरजनित रोगों से निपटने में मदद करेंगे कीट वैज्ञानिक 

डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, लिम्फोटिक फाइलेरिया और जीका वायरस जैसी मच्छरजनित बीमारियों से निपटने के
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनियाभर में मच्छरों के जरिए सबसे ज्यादा डेंगू फैलता है। मच्छरों को दुनिया का सबसे घातक जीव माना गया है। इसके काटने से फैलने वाली बीमारियों क कारण दुनिया भर में प्रतिवर्ष करीब 4 लाख लोगों की मौत होती है। वैज्ञानिकों की टीम मच्छरों की प्रजनन संबंधी सेहत (Reproductive Fitness) को घटाने की कोशिश में जुटी हुई है। अगर मच्छरों की प्रजनन करने की क्षमता कम हो जाए तो इससे मच्छरों की आबादी कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के प्रसार को कम करने में भी मदद मिलेगी। 
इस सब के बीच एक जोखिम भी है कि कहीं इस कोशिशों के बीच कहीं मच्छरों की आबादी पूरी तरह से ही खत्म न हो जाए। अगर ऐसा होता है तो यह पर्यावरण के लिहाज से बडी समस्या पैदा कर सकता है। मच्छर भी फूड चेन का हिस्सा होते हैं। इसे खत्म होने से पर्यावरण का संतुलन प्रभावित हो सकता है। 

Read : Latest Health News | Breaking News | Autoimmune Disease News | Latest Research |  on  https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from Social Bar Menu on the Top of the Website 



नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

caasindia.in सामुदायिक स्वास्थ्य को समर्पित हेल्थ न्यूज की वेबसाइट

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://www.caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website).
Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now
Caas India Web Team
Caas India Web Teamhttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Article