वैज्ञानिकों ने मच्छरों के जरिए डेंगू-चिकनगुनिया (Dengue – Chikungunya) जैसी बीमारियों को रोकने की योजना तैयार की है। इससे मच्छर जनित रोगों से बचने में मदद मिलेगी।
डेंगू और चिकनगुनियां (Dengue – Chikungunya) जैसी बीमारियों के प्रसार को रोकने में मिलेगी मदद
नई दिल्ली : बारिश के मौसम में मच्छर सिर्फ काटते ही नहीं हैं, बल्कि अपने डंक से बीमार भी कर देते हैं। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया यह सभी रोगों को फैलाने के पीछे ये भिनभिनाते हुए मच्छर ही जिम्मेदार है। देश के महानगरों और खासकर बडे शहरों में मानसून और बारिश के मौसम में मच्छर बडी मुसीबत साबित होते हैं। मच्छरों की खास चर्चा इन दिनों इसलिए हो रही है कि इन घातक और रोगजनक मच्छरों पर नकेल कसने में मच्छर ही मददगार बनेंगे।
दरअसल, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वेक्टर कंट्रोल रिसर्च सेंटर (VCRC) ने ऐसी मादा मच्छरों को विकसित किया है, जो नर मच्छरों के साथ मिलकर लार्वा पैदा करेंगे, जो वास्तव में एंटी डेंगू-चिकनगुनिया साबित होगी क्योंकि ये डेंगूू-चिकनगुनिया फैलाने वाले वायरस से प्रभावित ही नहीं हो पाएंगे। अगर यह किसी को काटते भी है, तो इनमें वायरस की मौजूदगी नहीं होगी। ऐसे में लोगों के संक्रमित होने की आशंका भी कम होती चली जाएगी। ऐसी इसलिए होगा क्योंकि इनके अंदर इन बीमारियों के वायरस नहीं रहेंगे और जब वायरस नहीं रहेंगे तो इनके काटने से इंसान संक्रमित भी नहीं होंगे।
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पुडुचेरी स्थित ICMR-VCRC द्वारा एडीज एजिप्टि (Aedes aegypti) की दो कॉलोनियां विकसित की गई हैं। इन्हें wMel और wAIbB वोलबशिया स्ट्रेन से संक्रमित किया गया है। अब इन मच्छरों का नाम एडीज एजिप्टी (PUD) है, जो डेंगू और चिकनगुनिया के वायरस को नहीं फैलाएंगे। VCRC इस प्रयोग में पिछले चार सालों से जुटा हुआ है।
VCRC के डायरेक्टर डॉ. अश्विनी कुमार के मुताबिक इन मच्छरों को स्थानीय क्षेत्रों में छोड़ने के लिए अनेक प्रकार की सरकारी अनुमतियां लेनी होंगी। हमने डेंगू और चिकनगुनिया को खत्म व नियंत्रित करने के लिए खास तरह के मच्छरों की फौज तैयार की है। हम मादा मच्छरों को छोड़ेंगे ताकि वह नर मच्छरों के साथ मिलकर ऐसे लार्वा पैदा करें जो डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले वायरस से पूरी तरह से मुक्त हो। डॉ. अश्निनी कुमार के मुताबिक इन मच्छरों को छोड़ने की हम पूरी तैयारी कर चुके हैं। अब सिर्फ सरकार की ओर से अनुमति मिलने का इंतजार किया जा रहा है। जैसे ही अनुमति मिलती है, हम इन मच्छरों को स्थनीय क्षेत्रों में छोड देंगे।
मच्छरजनित रोगों से निपटने में मदद करेंगे कीट वैज्ञानिक
डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, लिम्फोटिक फाइलेरिया और जीका वायरस जैसी मच्छरजनित बीमारियों से निपटने के
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनियाभर में मच्छरों के जरिए सबसे ज्यादा डेंगू फैलता है। मच्छरों को दुनिया का सबसे घातक जीव माना गया है। इसके काटने से फैलने वाली बीमारियों क कारण दुनिया भर में प्रतिवर्ष करीब 4 लाख लोगों की मौत होती है। वैज्ञानिकों की टीम मच्छरों की प्रजनन संबंधी सेहत (Reproductive Fitness) को घटाने की कोशिश में जुटी हुई है। अगर मच्छरों की प्रजनन करने की क्षमता कम हो जाए तो इससे मच्छरों की आबादी कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के प्रसार को कम करने में भी मदद मिलेगी।
इस सब के बीच एक जोखिम भी है कि कहीं इस कोशिशों के बीच कहीं मच्छरों की आबादी पूरी तरह से ही खत्म न हो जाए। अगर ऐसा होता है तो यह पर्यावरण के लिहाज से बडी समस्या पैदा कर सकता है। मच्छर भी फूड चेन का हिस्सा होते हैं। इसे खत्म होने से पर्यावरण का संतुलन प्रभावित हो सकता है।
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