Friday, March 29, 2024
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भोजन देखते ही दिमाग में शुरू होती है इंफ्लामेट्री प्रतिक्रिया

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नई दिल्ली : क्या भोजन देखते ही दिमाग में इंफ्लामेट्री प्रक्रिया शुरू हो सकती है। बेसल विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा होता है। इस बात की पुष्टि बाकायदा अध्ययन में किया जा चुका है। इससे पहले कि कार्बोहाइड्रेट रक्त प्रवाह में पहुंचें, भोजन की दृष्टि और गंध इंसुलिन रीलीज को ट्रिगर करती है। पहली बार, शोधकर्ताओं ने ऐसा कर दिखाया है कि यह इंसुलिन रिलीज एक शॉर्ट टर्म इंफ्लामेट्र्री रियेक्शन पर निर्भर करता है।


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हालांकि, अधिक वजन वाले व्यक्तियों में, इंफ्लामेट्री रियेक्शन इतनी अधिक होती है कि यह इंसुलिन स्राव की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर सकती है।
यहां तक ​​कि भोजन की इच्छा मात्र से भी शरीर में प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला शुरू हो जाती है। जिनके कारण मुंह में पानी आता है। यह इस बात का पता लगाने का सबसे प्रचलित और प्रमाणिक लक्षण है। जबकि, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने वाले हार्मोन इंसुलिन भोजन करने से पहले उसे देखकर ही रीलीज हो जाता है। विशेषज्ञ इसे इंसुलिन स्राव के तंत्रिका-मध्यस्थ (या मस्तक) चरण के रूप में संदर्भित करते हैं।

भोजन प्रतिरक्षा तंत्र को उत्तेजित करता है :

पहले यह स्पष्ट नहीं था कि भोजन के बारे में सोचने मात्र से ही अग्न्याशय को इंसुलिन उत्पादन बढ़ाने के लिए एक संकेत कैसे उत्पन्न करता है। अब, बेसल विश्वविद्यालय और अस्पताल के शोधकर्ताओं ने इस पहेली के एक महत्वपूर्ण चरण की पहचान की है। एक इंफ्लामेट्री कॉज जिसे इंटरल्यूकिन 1 बीटा (IL1B) का नाम दिया गया है।
यह प्रतिक्षा प्रतिक्रिया के तौर पर टिशूओं की क्षति में भूमिका निभाता है, यानि जोडों के बीच में मौजूद सॉफ्ट टिश्यू में इंफ्लामेशन में भी इसकी भूमिका पाई गई है। टीम ने सेल मेटाबॉलिज्म जर्नल में अपने निष्कर्षों को प्रमुखता से प्रकाशित किया है।



इस अध्ययन का खास तथ्य यह कहता है कि इंफ्लामेट्री कॉज स्वस्थ व्यक्ति में भी इंसुलिन रीलीज केे अनुपात को काफी ज्यादा बढाने लिए भी जिम्मेदार है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह टाइप 2 डाइबिटीज के विकास में भी भूमिका निभाता हुआ पाया गया है।

बायोमेडिसिन विभाग और क्लिनिकल अध्ययन में मुख्य भूमिका निभाने वाले प्रोफेसर मार्क डोनाथ के मुताबिक इसे वयस्कों में शुरुआती मधुमेह पैदा करने के लिए भी जाना जाता है। पुरानी सूजन (क्रॉनिक इंफ्लामेशन) में आगे चलकर मधुमेह का यह रूप तब्दील हो जाता है। इसके अलावा IL1ठ अग्न्याशय (पैनक्रियाज) के इंसुलिन-उत्पादक कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इसे ध्यान में रखते हुए आगे के अध्ययन को अंजाम दिया जा रहा है। आगे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या इस इंफ्लामेट्री मार्कर के खिलाफ अवरोधक मधुमेह के लिए चिकित्सीय भूमिका में उपयोगी है या नहीं।

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शॉर्ट टर्म इंफ्लामेट्री रिएक्शन :

इंटर्नल ट्रीटमेंट मेडिसिन की रेजिडेंट चिकित्सक और अध्ययन की लेखिका डॉ. सोफिया विडेमैन के मुताबिक आंतरिक रूप से इंसुलिन स्राव के बीच भूमिका निभाने की बात आती है तब परिस्थितियाँ भिन्न होती हैं। भोजन की गंध और दृष्टि मस्तिष्क में माइक्रोग्लिया के रूप में जानी जाने वाली विशिष्ट प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उत्तेजित करती है। ये कोशिकाएं कम मात्रा में IL1B का स्राव करती हैं, जो बदले में योनि तंत्रिका के माध्यम से स्वायत्त तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती हैं। यह प्रणाली तब संकेत को इंसुलिन स्राव की साइट – यानी अग्न्याशय से संबंधित करती है।

मोटापे की बीमारी के मामले में इंसुलिन स्राव का यह तंत्रिका-मध्यस्थ चरण बाधित होता है। विशेष रूप से, प्राइमरी मोस्ट इंफ्लामेट्री रियेक्शन के जरिए डॉक्टरेट उम्मीदवार केली ट्रिमिग्लियोज़ी द्वारा समझाया गया था, जिन्होंने विडेमैन के सहयोग से अध्ययन के मुख्य भाग में अपनी भूमिका निभाई थी। हमारे नतीजे बताते हैं कि IL1B संवेदी जानकारी जैसे कि भोजन की दृष्टि और गंध को बाद में तंत्रिका मध्यस्थता वाले इंसुलिन स्राव के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इस संबंध को विनियमित करने में मार्क डोनाथ का सारांश महत्वपूर्ण है।


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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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