नवजात शिशुओं में जन्मजात पीलिया (Jaundice) होने का जोखिम बना रहता है। इसकी जांच भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं होती है। इसकी जांच अब काफी आसान होगी क्योंकि विशेषज्ञों की मेहनत से अब यह मोबाइल ऐप से संभव हो जाएगा। इस जांच के समय रहते हो जाने से पीलियाग्रस्त शिशुओं की जान बचाने में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली : नवजात शिशुओं में जन्मजात पीलिया (Jaundice) होना उनकी जान के लिए जोखिम भरा माना जाता है। इस वजह से कई नवजात शिशुओं की मौत भी हो जाती है। नवजात बच्चों में पीलिया की जांच को वैज्ञानिकों ने अब और आसान बना दिया है। उन्होंने एक ऐसा ऐप विकसित किया है, जिसकी मदद से नवजात शिशुओं में पीलिया की जांच करना आसान हो गया है।
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इस ऐप का नाम नियोनेटल स्क्लेरल-कंजंक्टिवल बिलीरुबिन यानी नियो एससीबी (neoSCB) रखा गया है। इसे यूनिवर्सिटी कालेज लंदन के डॉक्टर्स और इंजीनियर्स ने मिलकर बनाया है। ऐप विकसित करने वाले विशेषज्ञ दल ने अफ्रीकी देश घाना (Ghana) में जन्मे करीब 300 नवजात बच्चों मे पीलिया की जांच के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया।
यहां बता दें कि अध्ययन के क्रम में इससे पहले इस तकनीक का इस्तेमाल 2020 में यूनिवर्सिटी कालेज लंदन अस्पताल (यूसीएलएच) में गया था। जानकारी के मुताबिक तकनीक की मदद से 37 बच्चों की जांच की गई थी।जर्नल ‘पीडियाट्रिक्स (Pediatrics)’ में प्रकाशित इस की रिपोर्ट में रिसर्चर्स ने इस बता का जिक्र किया है कि उन्होंने आंखों के सफेद हिस्से के पीलेपन को मापने के लिए बच्चों की तस्वीरें ली और फिर बारीकी से उसकी जांच की ।
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ऐसे हुआ जांच का पैमाना तय :
विशेषज्ञों ने इस बात का आकलन किया कि आंख में कितना पीलापन है। सामान्य रूप से इस पीलेपन का तस्वीर देखकर पता लगाना संभव नहीं है लेकिन मोबाइल फोन से ली गई तस्वीर को ऐप की मदद देखकर समय से पहले पीलिया की पहचान की जा सकती है। इस ऐप की मदद से 336 नवजात बच्चों की जांच की गई। इनमें से 79 नवजात बच्चों में पीलिया के गंभीर लक्षण पाए गए। ऐप की मदद से 74 बच्चों में पीलिया की सटीक पहचान कर ली गई। इसके बाद फिर आगे उपचार क्या देना है, यह ब्ल्ड टेस्ट के बाद तय किया जाता है।
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ऐप विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ टेरेंस लियंग (Terence Leung) के मुताबिक इस अध्ययन से यह पता चलता है कि नियो एससीबी पीलिया की जांच के लिए पहले से इस्तेमाल में लाए जा रहे, उपकरणों से बेहतर परिणाम दे रहा है।
इसमें सिर्फ एक स्मार्ट फोन की जरूरत पडती है और दूसरी जांचों के मुकाबले इसकी लागत 10 गुना कम होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार व्यापक स्तर पर इसका उपयोग शुरू हो जाए तो इस ऐप की बदौलत उन देशों में भी नवजात बच्चों की जांच बचाना संभव हो जाएगा, जहां महंगे और आधुनिक उपकरण उपलब्ध नहीं हैं।
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