Latest Treatment of Paralysis : नई तकनीक की बदौलत एक दशक बाद पैरों पर खडा हुआ लकवाग्रस्त मरीज
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Latest Treatment of Paralysis : ब्रेन से रीढ तक बनाया डिजिटल ब्रिज, पैरों पर चला लकवाग्रस्त मरीज- नई तकनीक (new technology) और ताजा उपचार विधि से ब्रेन से लेकर रीढ तक डिजिटल ब्रिज (Digital bridge from brain to spine) तैयार कर विशेषज्ञों ने करीब एक दशक से लकवाग्रस्त युवक को अपने पैरों पर खडा कर दिया। इस नई उपचार विधि से लकवा (Latest Treatment of Paralysis) या किसी अन्य वजह से विकलांग हो चुके मरीजों को बडी राहत मिलेगी। वह न केवल अपने पैरोें पर खडे हो पाएंगे बल्कि खुद ही अपना काम भी कर पाएंगे।
12 साल पहले दुर्घटना का शिकार हो गया था युवक
नीदरलैंड के निवासी गर्ट-जान ऑस्कम रोड एक्सिडेंट में घायल हो गए थे और वह लकवाग्रस्त (Paralyzed) हो गए। उस समय में वह चीन में थे और दुर्घटना मोटरसाइकिल से हुई थी। इस दौरान उनकी सर्वाइकल स्पाइन (cervical spine) क्षतिग्रस्त हो गई थी। उनके कूल्हे से नीचे का हिस्सा और आधी बांह लकवाग्रस्त हो गया। इसके बाद वह अपने पैरों पर खडे नहीं हो पाए लेकिन अब ऑस्कम चल सकते हैं। इनका उपचार स्विटजरलैंड के एक अस्पताल में किया गया है।
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इस तरह की मरीजों के लिए व्यापक स्तर पर हो रही है स्टडी
लकवाग्रस्त मरीजों (paralyzed patients) को इस समस्या से उबारने के लिए विश्व के अलग-अलग देशों में मौजूद वैज्ञानिक और विशेषज्ञ व्यापक स्तर पर शोध और अध्ययन कार्यों में जुटे हुए हैं। अमेरिका के शोधकर्ता भी लकवाग्रस्त मरीजों को उबारने के लिए इसी तकनीक पर काम कर रहे हैं, जिसके जरिए गर्ट-जान ऑस्कम अपने पैरों पर खडे हो सके हैं।
वैज्ञानिक ब्रेन स्पाइनल इंटरफेस (brain spinal interface) के क्षेत्र में रिसर्च और ट्रायल करने में जुटे हैं। वैज्ञानिक न्यूरोलॉजिकल स्थितियों वाले मरीजों (patients with neurological conditions) के जीवन की गुणवत्ता को सुधारने की कवायद में लगातार जुटे हुए हैं। इनमें जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी (Johns Hopkins University), डीएआरपीए (DARPA) और ब्रेनगेट कंपनी (Braingate Company) शामिल है।
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ब्रेन और रीढ के बीच ऐसे बनाया डिजिटल ब्रिज
गर्ट-जान ऑस्कम का उपचार करने वाले विशेषज्ञों ने बीते मई में एक मेडिकल जर्नल में एक रिसर्च प्रकाशित की थी। इस रिसर्च में उन्होंने उन इंप्लांट्स का उल्लेख किया है, जो किसी घायल या चोटिल व्यक्ति के उन हिस्सों को बाइपास कर ब्रेन और रीढ के बीच डिजिटल ब्रिज (Digital bridge between brain and spine) बनाता है। ऑस्कम में इंप्लांट प्रत्यारोपित करने वाले न्यूरोसाइंटिस्ट जॉक्लिने बलोच (Neuroscientist Jocelyn Bloch) के मुताबिक शुरूआत में यह उनके लिए यह एक साइंस थ्योरी की तरह थी लेकिन आज यह हकीकत हो चुका है।
यहां बता दें कि ब्रेन को रीढ की हड्डी से जोडने से संबंधित अध्ययन (studies related to connecting the brain to the spinal cord) सबसे पहले 2016 में की गई थी। इस दौरान वैज्ञानिकों के समूह ने एक लकवाग्रस्त बंदर को चलने में सहायता की थी। दूसरे चरण के अध्ययन में एक लकवाग्रस्त व्यक्ति को उसके हाथ पर नियंत्रण पाने में भी सहायता मिली थी।
Latest Treatment of Paralysis : ब्रेन से रीढ तक बनाया डिजिटल ब्रिज, पैरों पर चला लकवाग्रस्त मरीज
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