Tuesday, May 21, 2024
HomeOther DiseasesLupus Patient Story : महज 19 वर्ष की उम्र में ल्यूपस ने...

Lupus Patient Story : महज 19 वर्ष की उम्र में ल्यूपस ने दी दस्तक

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now

Lupus Patient Story : अपने जैसे मरीजों को कर रही हैं जागरूक

नई दिल्ली। टीम डिजिटल :  Lupus Patient Story : महज 19 वर्ष की उम्र में ल्यूपस दी दस्तक- यह कहानी बोस्टन क्षेत्र की निवासी और वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाहकार, 41 वर्षीय रेखा श्रीधरा की है। जो सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (systemic lupus erythematosus), डिस्कोइड ल्यूपस (discoid lupus) , थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया पुरपुरा (thrombotic thrombocytopenia purpura) और pulmonary arterial hypertension के साथ जी रही हैं।

महज 19 वर्ष की आयु में ही रेखा को इस बीमारी ने अपनी चपेट में लिया। जिसके बाद उन्होंने न केवल खुद को संभाला बल्कि ने ल्यूपस से पीड़ित अन्य लोगों को भी सहायता प्रदान करने की ठान ली। रेखा ने लोगों को जागरूक करने और मरीजों की सहायता करने के लिए लिविंग ल्यूपस टुगेदर नाम की संस्था का गठन किया।

रोग सक्रिय होता है तो झडते हैं बाल

रेखा के मुताबिक जब उन्हें ल्यूपस फ्लेयर होता है तब बालों का झड़ना बीमारी (systemic lupus erythematosus) के प्रमुख लक्षण के तौर पर उभरता है। वर्ष 2001 में, 19 साल की उम्र में, उन्हें सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई) से पीडित होने की जानकारी मिली थी।

रेखा को इस बीमारी में बालों के झड़ने की संभावना के बारे किसी ने कुछ भी नहीं बताया। शुरूआती निदान के तीन महीने बाद ही उनके बाल झड़ने लगे थे। हालांकि, उनके बाल वापस भी उग आते थे लेकिन यह अस्थाई था। इस तरह बालों का गिरना और फिर से उगने का सिलसिला जारी था। विशेषज्ञों के मुताबिक एसएलई से पीड़ित 85 प्रतिशत लोगों में बालों के झड़ने की समस्या होती है।

बहुत अकेला पड गई थी रेखा श्रीधरा

रेखा के मुताबिक जब उन्हें पहली बार यह पला चला कि उन्हें ल्यूपस (systemic lupus erythematosus) है, तो उन्होंने बेहद अकेलापन महसूस किया। रेखा के मुताबिक वह एक पूर्व सहकर्मी के अलावा ल्यूपस से पीड़ित किसी अन्य व्यक्ति को नहीं जानती थी। जिन्हें वह जानती थी, वह ल्यूपस के बारे में उनसे ज्यादा बात नहीं करता था।

उन्होंने 20 वर्ष की उम्र तक किसी ऐसे शख्स से संपर्क नहीं किया, जो ल्यूपस से पीडित हो। उन्हें यह भी नहीं मालूम था कि उनके जैसे लोग उन्हें कहां मिलेंगे। रेखा के मुताबिक इस तरह की बीमारियों से पीडित ऑनलाइन उपलब्ध कम्यूनिटी एक बडे रहस्य की तरह होते हैं। जबकि, ल्यूपस से संबंधित मरीजों की कम्यूनिटी की तलाश करना जीवन बदलने जैसा था। उन्हें यह किसी ने बताया भी नहीं था कि उनकी बीमारी से पीडित लोगों का एक समूह ऑनलाइन सक्रिय है।

Also Read : AIIMS Artificial Intelligence : Paralyzed मरीजों के लिए AI बन सकता है वरदान

इंटरनेट पर बीमारी के लक्षण तलाश करने से बचती थी रेखा

रेखा के मुताबिक जब भी उनके मन में कोई प्रश्न होता था, तो उसे पूछने के लिए वह डॉक्टर के पास पहुंच जाती थी। अस्पताल की नर्से उन्हें उनकी आवाज से पहचानने लगी थी। ऐसा इसलिए क्योंकि रेखा ने अपने प्रश्नों का जवाब जानने के लिए उन्हें कई बार फोन किया था। वह डॉक्टर को ई-मेल के माध्यम से अपने प्रश्न भेजने और उत्तर पाने में सक्षम थी। ऐसे में वह इंटरनेट पर जाकर अपनी बीमारी के लक्षणों की तलाश करने से बचती थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि वह अपनी बीमारी और खुद के बारे में सबसे बुरा सोचना शुरू कर दे।

इसके बजाए उन्होंने कॉर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन, प्रेडनिसोन, रोगाइन, जेएके अवरोधक टोफैसिटिनिब, तेल, रोज़मेरी पानी सहित सब कुछ आज़माया। उन्होंने अपनी स्थिति से निपटने के लिएा किसी का सहारा नहीं लिया। रेखा का मानना है कि ऐसी बीमारियों का सामना करते हुए जितना अनुचित सलाहों से बचा जाए, इसमें ही भलाई है।

ऐसे मिला कम्यूनिटी सपोर्ट

कुछ वर्षों तक ल्यूपस के साथ अकेला रहने के बाद एक दिन विश्व ल्यूपस दिवस (World Lupus Day) पर, उन्होंने सोशल मीडिया पर जाने का फैसला किया। उन्होंने अपना इंस्टाग्राम पेज लिविंग ल्यूपस टुगेदर शुरू किया, जहां उन्होंने ल्यूपस के साथ जिंदगी बिताने के बारे में लोगों से शेयर करना शुरू किया। वे लगातार पोस्ट और रिल्स बनाने लगी। उस दिन के बाद से उन्होेंने पेशेंट एडवोकेसी ऑर्गेनाइजेशन के साथ पॉडकास्ट पर ल्यूपस के बारे में अपने अनुभवों को लेकर बात करनी शुरू कर दी। रेखा के मुताबिक वह ल्यूपस और pulmonary arterial hypertension पर केंद्रित कई शोध और अध्ययनों का हिस्सा बन चुकी हैं।

रोगी सलाहकार बनकर कर रही हैं दूसरों की मदद

रेखा के मुता​बिक सपोर्ट और एडवोकेशी के प्रति अपनी जूनून को उन्होंने यहीं तक सीमित नहीं रखा बल्कि ग्लोबल हेल्थ लिविंग फाउंडेशन द्वारा शुरू किए गए HEROES [स्वास्थ्य शिक्षा + विश्वसनीय आउटरीच + सहानुभूति समर्थन] कार्यक्रम के जरिए रोगी सलाहकार बोर्ड की सदस्य भी नियुक्त हो गईं। रेखा के मुताबिक इस कार्यक्रम का लक्ष्य सामुदायिक स्वास्थ्य एम्बेसेडर्स के एक नए समूह को शिक्षित करना है।

Lupus Patient Story : महज 19 वर्ष की उम्र में ल्यूपस दी दस्तक-

[table “5” not found /]


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

caasindia.in सामुदायिक स्वास्थ्य को समर्पित हेल्थ न्यूज की वेबसाइट

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://www.caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website).
Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindi
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindihttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Article