Thursday, November 21, 2024
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World Arthritis Day : मधुमेह और कैंसर को भी पीछे छोड सकता है आर्थराइटिस

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  • अर्थराइटिस के खतरे से बचा सकती है जागरूकता

नई दिल्ली।टीम डिजिटल : देश में मधुमेह और कैंसर से कहीं ज्यादा आर्थराइटिस (Arthritis) हावी हो रहा है। सुनने में यह थोडा असहज लग सकता है लेकिन हालिया अध्ययनों में कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं। अगर शीघ्र ही आर्थराइटिस के मामलों को नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके परिणाम

World Arthritis Day : मधुमेह और कैंसर को भी पीछे छोड सकता है आर्थराइटिस
Dr Biren Nadkarni, Sr Orthopedic Consultant

चिंताजनक हो सकते हैं। खराब जीवनशैली और खानपान के साथ तनावपूर्ण जिंदगी इस रोग को और भी ज्यादा हवा दे रही है। कल तक बुजुर्गों की बीमारी कही जाने वाली आर्थराइटिस के शिकार बडे पैमाने पर युवा भी हो रहे हैं। हाल में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक देशभर में करीब 180 मिलियन से अधिक मामले सिर्फ आर्थराइटिस के ही हैं। 

विशेषज्ञों के मुताबिक आर्थराइटिस (गठिया) का समय रहते उपचार शुरू किया जाए तो इसे ठीक भी किया जा सकता है लेकिन अगर समस्या पुरानी यानि क्रॉनिक हो जाए तो फिर इसके लक्षणों को ही नियंत्रित किया जा सकता है। आमतौर पर यह माना जाता है कि आर्थराइटिस एक लाइलाज बीमारी है, ऐसा मानना काफी हदतक ठीक भी है लेकिन इसकी चपेट में आने से बचने के लिए इसके प्रति सचेत और जागरूक रहने की जरूरत है। विश्व आर्थराइटिस दिवस (world arthritis day) के मौके पर हमने होली फैमिली अस्पताल के भरतिया इंस्टीट्यूट में वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ और सर्जन डॉ. बीरेन नाडकर्णी से बातचीत की है : 

आर्थराइटिस के 100 से अधिक रूप :

आर्थराइटिस एक या अधिक जोड़ों को प्रभावित कर सकता है। प्रभावित जोडों में दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है। इसके 100 से भी अधिक रूप है। हालांकि पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटोइड गठिया के मामले सबसे अधिक हैं। ये प्रतिरक्षा प्रणाली को भी प्रभावित कर सकते हैं। इसमें जोड़ों के साथ-साथ मांसपेशियों, संयोजी ऊतक, टेंडन और रेशेदार ऊतक को नुकसान पहुंचा सकता है। यह हाथ, कूल्हों, घुटनों और रीढ़ सहित किसी भी जोड़ को नुकसान पहुंचा सकता है।

जागरूकता पर हावी है ​मिथक :

1. गठिया एक वृद्धावस्था की बीमारी है और बच्चों को प्रभावित नहीं कर सकती है
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फैक्ट – गठिया की कई किस्में हैंजो बच्चों, युवा और वयस्कों को भी पीड़ित कर सकती हैं। सामान्यतौर पर इससे वृद्ध लोग ही अधिक पीडित होते हैं लेकिन ये किशोरों को भी प्रभावित कर सकता है। बच्चों में सबसे अधिक होने वाला गठिया, जिसे बचपन का गठिया या किशोर संधिशोथ भी कहा जाता है। यह जोड़ों को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
2. सभी जोड़ों का दर्द गठिया है
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फैक्ट – टेंडोनाइटिस, बर्साइटिस और अन्य नरम-ऊतक चोटों सहित कई बीमारियां, जोड़ों के दर्द का कारण बन सकती हैं और जिसमें गठिया के समान दर्द होता है। इसलिए, किसी भी प्रकार के दर्द होने पर उसकी सही प्रकार से जांच की जानी महत्वपूर्ण है।
3. जब आप जोड़ों के दर्द का अनुभव करना शुरू करते हैं, तो आपको यह देखने के लिए इंतजार करना चाहिए कि क्या यह अपने आप दूर हो जाता है
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फैक्ट – गठिया का शीघ्र पता लगाकर उपचार शुरू करने से जोड़ों को नुकसान से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही महत्वपूर्ण अंगों पर भी पडने वाले दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। इसके कुछप्रकार, जैसे रूमेटोइड गठिया, हृदय, रक्त वाहिकाओं, मस्तिष्क, त्वचा, आंखों, फेफड़ों और त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आपको जितनी जल्दी हो सके गठिया के प्रकार की पहचान करना महत्वपूर्ण है क्योंकि कई उपचार उपलब्ध हैं, और उपचार का सही कोर्स शुरू करने से आपको दीर्घकालिक प्रभावों से बचने में मदद मिल सकती है।
4. व्यायाम करने से आपकी हालत और खराब हो जाएगी।
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फैक्ट – व्यायाम ताकत, गति की सीमा और लचीलेपन को बढ़ाते हुए सूजन को कम करने में मदद करता है। निष्क्रियता लक्षणों को ज्यादा बदतर बना सकती है, जिससे दर्द और सूजन बढ़ सकती है। किसी भी व्यायाम को करने से पहले, यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि आपकी सीमाएं क्या हैं।
5. गर्म करने वाले पैड जोड़ों के दर्द से राहत दिलाते हैं
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फैक्ट – बर्फ के साथ-साथ गर्मी से भी जोड़ों के दर्द से राहत मिल सकती है। ठीक से लगाने पर गर्मी जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और जकड़न को कम कर सकती है। ठंडा  पैड सिकाई के लिए इस्तेमाल करने से दर्द और जोड़ों की सूजन को कम करने में मदद सकती है। जब कोई जोड़ दर्द कर रहा हो, तो लोगों को व्यायाम करने से पहले गर्म सिकाई करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, ठंडी सिकाई भी दर्द को कम कर सकती है और अगर जोड़ में जलन हो तो इससे फायदा हो सकता है।

6. हाथ-पैर विकृत रहेंगे

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फैक्ट – विकृतियां गठिया के कारण हो सकती हैं। हालांकि, शुरुआती पहचान और उपचार से इससे बचा जा सकता है। गठिया के अधिकांश रोगी सही उपचार से स्वस्थ्य  जीवन जीते हैं। डॉ. बीरेन नाडकर्णी के मुताबिक चिकित्सा में प्रगति के बावजूद, गठिया के बारे में अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है। रोग प्रक्रिया को विकसित होने और हमारे जीवन को प्रभावित करने से रोकने के लिए कुछ सरल सावधानियां बरतनी चाहिए। गठिया के साथ कई नियंत्रणीय और गैर-परिवर्तनीय जोखिम कारक होते हैं। हमें इस बात से अवगत होना चाहिए कि व्यायाम और पौष्टिक, संतुलित आहार सहित जीवनशैली को बनाए रखने से हम कुछ प्रकार के गठिया के जोखिम को कम कर सकते हैं। साथ ही उनकी प्रगति को भी रोक सकते हैं।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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