डिप्रेशन पीडितों को लेकर एक बडी रिसर्च शुरू की गई है। 1500 मरीजों पर की जाने वाली इस रिसर्च में उनकी जिनोम सिक्वेंसिंग भी की जाएगी।
नई दिल्ली : डिप्रेशन से पीडित 1500 मरीजों पर एक खास रिसर्च (Research) शुरू की गई है। यह रिसर्च इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें डिप्रेशन पीडितों की जिनोम सिक्वेंसिंग (Genome sequencing) भी की जाएगी। रिसर्च एम्स भोपाल (Aiims Bhopal) के विशेषज्ञ कर रहे हैं। इसके अलावा नेशनल हेल्थ मिशन और हेल्थ विभाग भी इसमें अपना सहयोग देगा।
गुरूवार को रिसर्च की शुरूआत कर दी गई है। नेशनल हेल्थ मिशन और हेल्थ विभाग रिसर्च में आने वाले खर्च का वहन करेंगे। इस रिसर्च के दौरान विशेषज्ञ इसमें शामिल मरीजोंं का उपचार भी करेंगे। विशेषज्ञ इस रिसर्च के जरिए यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि इस स्थिति से प्रभावी तरीके से कैसे उबरा जाए।
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एम्स भोपाल के विशेषज्ञों के मुताबिक डिप्रेशन एक सामान्य मानसिक रोग है। देश में प्रत्येक वर्ष इस समस्या से करीब 5 प्रतिशत आबादी प्रभावित होती है। डिप्रेशन सुसाइडल टेंडेंसी को बढावा देने वाले प्रमुख वजहों में से एक है।
डिप्रेशन पीडितों की पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट पर रहेगा विशेषज्ञों का ध्यान :
एम्स (Aiims) की इस रिसर्च में मरीजों की पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसमें मेडिसिन लर्निंग ए
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प्रोच के साथ कई अन्य जानकारियों को जुटाया जाएगा। जिसके बाद उपचार की रूपरेखा तैयार की जाएगी। विशेषज्ञों के मुताबिक मरीजों के स्पेसिफिक जेनेटिक फैक्टर्स, उसकी परिवार से जुड़ी जानकारी, उसकी क्लीनिकल और मेडिकल हिस्ट्री आदि को खंगाला जाएगा।
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विशेषज्ञों के मुताबिक इस एप्रोच के साथ मरीज को अंदाजन दवाएं देने या काउंसिलिंग की प्रक्रिया से अलग खास तरह की प्रभावी उपचार देने की कोशिश रहेगी। स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. सुदाम खाड़े के मुताबिक यह बेहद उत्साहित करने वाली उपलबिध है। पहली बार इस तरह की स्टडी भोपाल में की जा रही है। यह उत्साहित करने वाला साबित हो रहा है। इस स्टडी से प्राप्त जानकारी से आम लोगों को काफी फायदा होगा। एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. नितिन नागरकर के मुताबिक डिप्रेशन के उपचार में यह स्टडी मील का पत्थर साबित होगी।
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