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दिल्ली : Genome sequencing की कवायद हुई तेज

दिल्ली में Genome sequencing की गति को तेज कर दी गई है। इस सिक्वेंसिंग के जरिए कोरोना के बदलते स्वरूप की निगरानी की जाती है। इस तकनीक के जरिए यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि किस तरह का वायरस स्ट्रेन सक्रिय है और वह कितना जोखिम भरा साबित हो सकता है।


नई दिल्ली : दिल्ली में Genome sequencing की कवायद को तेज कर दी गई है। बढते हुए कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए यह एतिहाती फैसला लिया गया है। Genome sequencing के जरिए वायरस के बदलते स्वरूप पर पैनी निगाह रखना संभव हो पाता है। वहीं उसके बदलते स्वरूप के संक्रमण फैलाने की क्षमता और गंभीरता का भी पता चलता है। यह जांच मरीजों से मिलने वाले नमूनों के जरिए की जाती है।

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विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज (आईएलबीएस) में Genome sequencing की प्रयोगशाला है और यहां महज चार से पांच दिनों में 350 नमूनों की जांच और विश्लेषण किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक आईएलबीएस 2021 के अंत से लेकर 5 जून तक करीब 6 हजार नमूनों की जांच हो चुकी है। जांच हुए नमूनों में से ज्यादातर ओमिक्रॉन के मामले ही पाए गए हैं।

बताया गया है कि 25 से कम सीटी वैल्यू वाले नमूनों की ही सिक्वेंसिंग हो सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसी लैब में जांच के दौरान राजधानी दिल्ली में ओमक्रॉन के सब- वैरिएंट बीए.1 और बीए.2 के सक्रिय होने का खुलासा हुआ था।

इसके बाद अभी किसी नए वैरिएंट या सब वैरिएंट की पुष्टि नहीं हुई है। यह अंदेशा है कि महराष्ट्र में एक नया वैरिएंट सक्रिय हो गया है। इसका पता लगाने के लिए नमूनों की सिक्वेंसिंग जारी है। बताया गया है कि जांच के नतीजे अगले कुछ दिनों में सामने आएंगे। अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली में कोरोना की सक्रियता को मद्देनजर रखते हुए नियमित बैठकों का भी सिलसिला जारी है।

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राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) और आईएलबीएस को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जाने वाले नमूनों की संख्या को बढाया गया है। ​पिछले 10 दिनों के दौरान जिस तरह से दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले बढे हैं, वह चिंता पैदा करने वाले साबित हो रह हैं। यही कारण है कि राजधानी में जांच, निगरानी और जीनोम सिक्वेसिंग की प्रक्रिया को ज्यादा तेज कर दिया गया है।


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