Tuesday, December 3, 2024
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दिल्ली : अब इस निजी अस्पताल में निशुल्क मिलेगी DR-TB की दवा 

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  • DR-TB नियंत्रण की दिशा में सरकार के साथ मिलकर  काम करेगा प्राइवेट अस्पताल 

दिल्ली के एक निजी अस्पताल ने DR-TB नियंत्रण की दिशा में सरकार के साथ मिलकर काम करने की घोषणा की है। यहां अब ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के मरीजों का भी उपचार किया जाएगा। 


नई दिल्ली : DR-TB नियंत्रण की दिशा में सरकार के साथ अब प्राइवेट अस्पताल भी भागीदारी करेंगा। दिल्ली में बुधवार को बीएलके मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ने इसकी घोषणा की है। इस तरह की योजना पर सरकार के साथ मिलकर काम करने वाला दिल्ली का यह पहला अस्पताल और देश के तीसरे अस्पतालों की सूची में शुमार हो गया है। 
 बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार करते हुए ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (DR-TB) का भी उपचार मुहैया कराएगा। यहां अब टीबी मरीजों को नई एंटी-ट्यूबरकुलर दवाईयां निशुल्क मिलेंगी। यहां बता दें कि अब तक ये दवाईयां सिर्फ सरकार से संबंधित केंद्रों के जरिए ही वितरित की जाती थी। दिल्ली क्षेत्र में टीबी (ट्यूबरक्यूलोसिस) की ये दवाईयां देने वाला बीएलके-मैक्स पहला अस्पताल बन गया है। 
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अस्पताल प्रंबंधन की ओर से प्राप्त जानकारी के मुताबिक दिल्ली स्टेट टीबी कंट्रोल ऑफिस ने हाल ही में बीएलके-मैक्स अस्पताल को ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के खिलाफ राष्ट्रीय लड़ाई में सहयोग के लिए प्रस्ताव दिया था। अस्पताल ने PMDT की गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए सरकार के साथ मिलकर टीबी के मरीजों को बेहतर इलाज के साथ-साथ अच्छी देखभाल उपलब्ध कराने पर अपनी सहमति जताई है। 

विकासशील देशों के लिए DR-TB है बडी चुनौती :

विकासशील देशों के लिए टीबी एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है। भारत में भी इसका प्रसार काफी ज्यादा है और डब्ल्यूएचओ (WHO) के हिसाब से दुनिया के 25 फीसदी टीबी के मरीज सिर्फ भारत में हैं। ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (DR-TB) की चपेट में आने वाले मरीजों की स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं, ऐसे मरीजों से परिवार और समाज में भी टीबी फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसी के मद्देनजर, बीएलके-मैक्स की सरकार के साथ इस मिलकर डीआर-टीबी के मरीजों को उनकी जरूरत के हिसाब से उपचार मुहैया कराएगा। 
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अस्पताल में सेंटर ऑफ चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिसीज़ के सीनियर डायरेक्टर और एचओडी डॉ. संदीप नय्यर ने कहा कि टीबी को खत्म करने के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम से जुड़कर अस्पताल प्रबंधन उत्साहित है। इससे मरीजों को काफी राहत मिलेगी। यहां अब लेटेस्ट उपचार मरीजों को निशुल्क मिल सकेगा। उन्होंन कहा कि टीबी को लेकर समाज में और अधिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है।
 टीबी का समय रहते पता लगाकर ओरल मेडिसिन के जरिए इसका बेहतर इलाज करने से इस चुनौती से निपटना आसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि देश में डीआर-टीबी का प्रसार बढ़ा है. इस बीमारी का इलाज आसान नहीं है. लेकिन इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली नए किस्म की दवाईयों ने इसे कुछ हदतक सरल बना दिया है। डीआर-टीबी के इलाज के लिए पहले 12-15 महीने तक दवाईयां लेनी पडती थी लेकिन अब अत्याधुनिक उपचार तकनीक की बदौलत अब मरीजों को सिर्फ 6 महीने ही दवा लेनी पडती है। 
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भारत में सबसे अधिक हैं TB के मामले : 

इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्यूलोसिस एंड लंग डिसीज़ के मुताबिक, भारत से इसका का खात्मा वैश्विक स्तर पर बडी चुनौती साबित हो रही है। यहां इसके मामले दुनिया में सबसे अधिक है। डॉ: संदीप नय्यर के मुताबिक भारत में 2021 में करीब 21 लाख \ मामले  थे। इनमें से करीब 50 हजार केस मल्टीड्रग रेसिस्टेंट/रिफैंपिसिन (MDR/RR) के थे. जबकि दूसरी तरफ, कुल 1.1 लाख केस में 80 हजार मरीज ऐसे थे, जिनकी बीमारी का पता अकेले दिल्ली में प्राइवेट अस्पतालों में लगाया गया। 
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दरअसल, दिल्ली में अर्बन स्लम्स की बड़ी आबादी है। साथ ही यहां बाहर से आए हुए लोग भी बड़ी तादाद में हैं। लिहाजा यहां ट्रांसमिशन रेट यानी इसके फैलने का रेट काफी हाई रहता है1 2021 में ही यहां 2000 ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरक्योलिसिस के मामले सामने आए थे। यहां बता दें कि भारत सरकार टीबी के पता लगाने से लेकर इससे बचाव और इलाज पर काफी ध्यान दे रही है। रिवाइज्ड नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का लक्ष्य 2028 तक टीबी केस 90 फीसदी तक कम करना और और 2030 तक इससे होने वाली मौतों के केस 95 फीसदी तक कम करने का है।  

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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