Friday, November 22, 2024
HomeSpecialक्या आप जानते हैं : इम्यूनोलॉजिस्ट और रूमेटोलॉजिस्ट के बीच क्या है...

क्या आप जानते हैं : इम्यूनोलॉजिस्ट और रूमेटोलॉजिस्ट के बीच क्या है अंतर

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now

 इम्यूनोलॉजिस्ट (Immunologist) और रूमेटोलॉजिस्ट (Rheumatologist) दोनो की भूमिका को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति में रहते हैं। इन दोनो में अंतर है लेकिन कई बार कुछ विशेष बीमारियों के मामले में दोनों ही विशेषज्ञों की जरूरत पडती है। हम आज यहां आपको दोनों विशेषज्ञों की भूमिका विस्तार से बताएंगे।


नई दिल्ली : इम्यूनोलॉजिस्ट (Immunologist) और रूमेटोलॉजिस्ट (Rheumatologist) दोनों आंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञ होते हैं। इम्यूनोलॉजिस्ट प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करने वाली स्थितियों का उपचार करते है। जबकि, रूमेटोलॉजिस्ट मस्कुलोस्केलेटन सिस्टम के विशेषज्ञ होते हैं। ये दोनों ही विशेषज्ञताए एक दूसरे से काफी अलग है।

इम्यूनोलॉजी और रुमेटोलॉजी के बीच अंतर :

इम्यूनोलॉजिस्ट को क्लिनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट या एलर्जिस्ट भी कहा जाता है। वे आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं के कारण होने वाली समस्याओं का उपचार करते हैं।

इम्यूनोलॉजिस्ट विभिन्न प्रकार की एलर्जी जैसे : बुख़ार, फूड एलर्जी, एक्जिमा, दमा, प्रतिरक्षाविहीनता विकार, एलर्जी, अस्थमा और इम्युनोडेफिशिएंसी विकारों से संबंधित समस्याओं का उपचार करते हैं।

रुमेटोलॉजिस्ट को ऑटोइम्यून स्थितियों के निदान और उपचार में विशेषज्ञता हासिल होती है। रूमेटोलॉजिस्ट उन समस्याओं का भी उपचार करते हैं, जो आपके मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम के अलावा जोड़ों को प्रभावित करती हैं, जैसे गाउट, मांसपेशियों, हड्डियों, जोड़, स्नायुबंधन जैसी समस्याएं।

इन्हें भी पढें : मोदी सरकार के 8 सालों में ऐसे बदली स्वास्थ्य व्यवस्था की तस्वीर

रुमेटोलॉजिस्ट इन समस्याओं का करते हैं उपचार :

रूमेटाइड गठिया, स्जोग्रेन सिंड्रोम, सोरियाटिक गठिया, रीढ़ के जोड़ों में गतिविधि-रोधक सूजन, आंतों में सूजन,

इम्यूनोलॉजिस्ट और रुमेटोलॉजिस्ट में यहां होती है समानताएं :

भले ही इम्यूनोलॉजिस्ट और रुमेटोलॉजिस्ट के बीच कई अंतर हैं, फिर भी समानताएं भी हैं। इस ओवरलैप का सबसे अच्छा उदाहरण ऑटोइम्यून बीमारियां हैं। ऑटोइम्यून रोग अक्सर आपके मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम पर हमला करते हैं, लेकिन इसके लिए प्रतिरक्षा प्रणाली जिम्मेदार होती है। हालांकि ऑटोइम्यून बीमारियां आपके शरीर के किसी भी अंग पर हमला कर सकती हैं, कुछ सबसे आम ऑटोइम्यून स्थितियां आपकी हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों को प्रभावित करती हैं।

इसमे शामिल है:

रूमेटाइड गठिया, सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई), या बस ल्यूपस, सोरियाटिक गठिया, स्जोग्रेन सिंड्रोम, स्क्लेरोडर्मा

रुमेटोलॉजिस्ट और इम्यूनोलॉजिस्ट ऑटोइम्यून स्थिति से शुरू होने वाले कुछ विशिष्ट बीमारियों के उपचार में एक सा​थ भूमिका निभाते हैं। इसके अतिरिक्त, ऑटोइम्यून स्थितियां अक्सर एलर्जी, अस्थमा या एक्जिमा का बढावा देती है। एक इम्यूनोलॉजिस्ट आपको उन्हें प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।

इम्यूनोलॉजिस्ट और रुमेटोलॉजिस्ट की भूमिकाएं क्या हैं?

हांलाकि, एक इम्यूनोलॉजिस्ट ऑटोइम्यून बीमारियों के लक्षणों को पहचान सकते हैं लेकिन मस्कुलोस्केलेटल ऑटोइम्यून बीमारियों का निदान के लिए रूमेटोलॉजिस्ट विशेषज्ञ होते हैं। ऐसी बीमारियों की पहचान काफी कठिन होती है। इसकी पहचान हो जाने के बाद आपका रुमेटोलॉजिस्ट आगे का उपचार करते हैं। यदि आप एलर्जी या किसी अन्य लक्षण से पीडित हैं, इसकी जांच के लिए आपको इम्यूनोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए।

अगर आपको इन दोंनों को लेकर कंफ्यूजन हो रहा हो तब उपचार की शुरूआत के लिए प्राथमिक चिकित्सक से भी परामर्श लिया जा सकता है। दरअसल, प्राथमिक चिकित्सक भी ऑटो इम्यून बीमारियों की पहचान के लिए प्रशिक्षित होते हैं। आगे वे बीमारी की स्थिति को देखते हुए आपको सही विशेषज्ञ के पास रेफर कर देते हैं।

इन्हें भी पढें : नवजात शिशुओं में पीलिया जांच अब मोबाल ऐप से संभव

इम्यूनोलॉजिस्ट और रुमेटोलॉजिस्ट को कितनी शिक्षा और प्रशिक्षण मिलता है?

रुमेटोलॉजिस्ट और इम्यूनोलॉजिस्ट आमतौर पर समान शिक्षा प्राप्त करते हैं, लेकिन इनमें कुछ प्रमुख अंतर हैं।
दोनों विशेषज्ञ 4 साल की स्नातक की डिग्री पूरी करते हैं। 4 साल की पढाई में आंतरिक बीमारी या बाल रोग में 3 साल का रेजिडेंटशिप करते हैं। उनकी पढाई उनके इस च्वाइस पर निर्भर करता है कि वे बच्चों या वयस्कों का इलाज करना चाहते हैं।

रेजिडेंटशिप पूरा करने के बाद भविष्य के रुमेटोलॉजिस्ट को रुमेटोलॉजी फेलोशिप करते हुए 2 से 3 साल की पढाई करनी होती है। रुमेटोलॉजी में उनके ज्ञान और कौशल से संबंधित डिग्री प्राप्त करने के लिए परीक्षा पास करनी होती है। जबकि, इम्यूनोलॉजिस्ट 2 से 3 साल की इम्यूनोलॉजी फेलोशिप पूरी करते हैं।

यह पढाई इम्यूनोलॉजी में सर्टिफिकेशन टेस्ट के साथ खत्म होती है। दोनों ही विशेषज्ञ अपने क्षेत्रों में नए तकनीकों और जानकारियों को बढाने के लिए नियमित रूप से नवीनतम चिकित्सा अनुसंधान और संबंधित सूचनाओं की जानकारी प्राप्त करते रहते हैं।

कैसे समझें आपको किनसे लेना चाहिए परामर्श :

कभी-कभी यह पता लगाना कठिन हो सकता है कि अचानक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए आपको किस विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। आइए उन प्रमुख लक्षणों पर चर्चा करें जिनका ध्यान सही विशेषज्ञ के चयन में आपको रखना जरूरी है :

इम्यूनोलॉजिस्ट से लिजिए परामर्श जब : 

साल में कई महीनों तक लगातार एलर्जी रहती है
एलर्जी अन्य लक्षणों का कारण बनती है, जैसे क्रोनिक साइनस संक्रमण या सांस लेने में कठिनाई
बार-बार घरघराहट और खाँसी (विशेषकर व्यायाम के बाद), कभी-कभी सांस लेने में तकलीफ, या सीने में जकड़न जैसे अस्थमा के चेतावनी संकेत
पहले अस्थमा का पता चला है, और अस्थमा की दवाएं लेने के बावजूद आपको बार-बार अस्थमा के दौरे पड़ते हैं
ध्यान रखें कि यह पूरी सूची नहीं है, और आपका प्राथमिक देखभाल चिकित्सक अन्य मामलों में एक प्रतिरक्षाविज्ञानी को देखने की सिफारिश कर सकता है।

इन्हें भी पढें : ऑटो इम्यून डिसऑर्डर मरीजों की ऐसी होनी चाहिए डाईट

रुमेटोलॉजिस्ट किसे दिखाना चाहिए

कई जोड़ों, हड्डियों या मांसपेशियों में दर्द का अनुभव करते हैं
जोड़, हड्डी या मांसपेशियों में ऐसा दर्द है जो किसी ज्ञात चोट से संबंधित नहीं है
बुखार, थकान, चकत्ते, सुबह की जकड़न या सीने में दर्द के साथ जोड़, हड्डी या मांसपेशियों में दर्द है
कोई ऐसी क्रॉनिक कंडिशन जिसका निदान और उपचार प्राथमिक चिकित्सक कर पाने में असमर्थ हों
अगर आपका कोई परिजन किसी ऑटोइम्यून या मस्कुलोस्केलेटल से संबंधित बीमारी से पीडित है और समान समस्याएं आपको भी हो रही हो

अन्य डॉक्टर जो प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं के विशेषज्ञ होते हैं :

ऑटोइम्यून रोग शरीर के किसी भी अंग या ऊतक को प्रभावित कर सकते हैं। कुछ अन्य विशेषज्ञ भी हैं जो इस कंडिशन के उपचार में आपको परामर्श दे सकते हैं।
एंडोक्रिनोलॉजिस्ट – हार्मोन से संबंधित स्थितियों का निदान और उपचार करते हैं
गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट या जीआई विशेषज्ञ : ये गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) और यकृत रोगों के विशेषज्ञ होते हैं
त्वचा विशेषज्ञ – इन्हें त्वचा, बालों या नाखूनों को प्रभावित करने वाली बीमारियों को पहचानने और उनका इलाज करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है
तंत्रिका विज्ञानी न्यूरोलॉजिस्ट – जो तंत्रिका समस्याओं का निदान और उपचार करते हैं
हेमेटोलॉजिस्ट – यह रक्त को प्रभावित करने वाली बीमारियों के विशेषज्ञ होते हैं

ऐसे किया जाता है ऑटोइम्यून बीमारियों का निदान :

इसके लिए कोई एक खास परीक्षण विधि नहीं है। इनकी पहचान कठिन है, इसलिए हो सकता है कि इन बीमारियों के निदान के लिए लंबी और तनावपूर्ण स्थितियों से गुजरना पड सकता है। आपके डॉक्टर प्रयोगशाला परीक्षणों के संयोजन का उपयोग करेंगे, आपके और आपके परिवार के चिकित्सा इतिहास की समीक्षा करेंगे, और पूरी तरह से शारीरिक परीक्षा करेंगे।

इन्हें भी पढें : इस तेल के इस्तेमाल से जोडों के दर्द मे मिल सकती है राहत

एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्ट (एएनए) नामक एक लैब टेस्ट अक्सर उन पहले परीक्षणों में से एक होता है, जब आपके चिकित्सक को आपके ऑटोइम्यून बीमारी से पीडित होने का संदेह होता है। इसके बावजूद भी ऐसे और कई परीक्षण की सलाह चिकित्सक दे सकते हैं, जो ऑटोइम्यून बीमारियों की पुष्टि के लिए जरूरी होते हैं। कई बार कई परीक्षणों के परिणाम का विश्लेषण करने के बाद चिकित्सक इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि मरीज को ऑटोइम्यून बीमारी है या नहीं।

अंक्योलूजिंग स्पान्डिलाइटिस के मामले में कई परीक्षणों के परिणाम के आधार पर कई बार पता चलता है कि मरीज को यही बीमारी है या जोडों में दर्द और सूजन के लिए कोई और कारण जिम्मेदार है। ईएसआर, सीआपी और एचएलए बी 27 जैसी जांच और पारिवारिक इतिहास को ध्यान में रखते हुए कई बार इस बीमारी की पहचान की जाती है। कुछ मामलों में चिकित्सक एसआई ज्वाइंट, हिप ज्वाइंट की एक्स-रे या फिर एमआरआई भी करवाते हैं।

ऐसे किया जाता है ऑटोइम्यून स्थितियों का उपचार :

ऑटोइम्यून बीमारियों का कोई प्रभावी इलाज नहीं है। इसके लक्षणों को कुछ दवाइयों की मदद से काफी हदतक नियंत्रित या प्रबंधित किया जा सकता है। जिससे दर्द और सूजन कम हो जाती है और मरीज को आराम मिलता है।

ऑटो इम्यून बीमारियों के उपचार में ज्यादातर इन दवाओं का होता है उपयोग :

नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) जैसे : इबुप्रोफेन (मोट्रिन, एडविल, मिडोल) और नेप्रोक्सन (एलेव, नेप्रोसिन)
कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, जैसे : प्रेडनिसोन (डेल्टासोन, प्रेडनिकोट)
इम्यून सेप्रेटिव मेडिसिन : बायोलॉजिक्स
इसके अलावा चिकित्सक आपको संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, स्ट्रेस मैनेजमेंट आदि की भी सलाह देते हैं।

कुलमिलाकर देखा जाए तो ऑटोइम्यून बीमारियों से पीडित मरीजों के उपचार में उनकी ​स्थिति के अनुसार एक या एक से अधिक विशेषज्ञों की भूमिका होती है। अस्पतालों में ऐसी बीमारियों के उपचार के लिए रूमेटोलॉजी के अलावा एक विशेष विभाग भी स्थापित किए गए हैं।

इस विभाग का नाम फिजिकल मेडिसिन एंड रिहेब्लिटेशन (पीएमआर) विभाग दिया गया है। यहां एक विभाग में ही कई विशेषज्ञों के साथ विशेषज्ञों का एक संयुक्त दल होता है, जो ऐसे मरीजों की उपचार के लिए उचित प्रबंधन योजना तैयार करते हैं।


Read : Breaking News | Latest News | Health News | Health News in Hindi | Autoimmune disease Related News | 


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

caasindia.in सामुदायिक स्वास्थ्य को समर्पित हेल्थ न्यूज की वेबसाइट

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://www.caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website).
Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now
Caas India Web Team
Caas India Web Teamhttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Article