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फरीदाबाद : डॉक्टरों ने झुकी हुई रीढ को सर्जरी से कर दिया सीधा

फरीदाबाद : लंबे समय से झुकी हुई रीढ की हड्डी की समस्या का सामना कर रही 7 वर्षीय मरीज को डॉक्टरों ने सर्जरी के बाद भारी राहत दी है। इस सर्जरी के बाद मरीजों के परिजनों को यकीन ही नहीं हो रहा है कि ऐसा भी हो सकता है। लंबे समय से झुकी हुई रीढ की वजह से मरीज और उसके परिजन बेहद निराश हो चुके थे।

फरीदाबाद के सेक्टर 8 के सर्वोदय अस्पताल में झुकी हुई रीढ की हड्डी की समस्या से पीड़ित एक 12 वर्षीय लड़की की सफलतापूर्वक जटिल सर्जरी की गई। ऑर्थोपेडिक्स एंड स्पाइन सर्जरी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. आशीष तोमर के नेतृत्व में सर्जनों की 10 घंटों की लंबी सर्जरी को सफतापूर्वक अंजाम दिया। इस दौरान उसकी रीढ़ की हड्डी को उसके सीधे आकार में बहाल कर दिया गया।

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हरियाणा के नूंह जिले की रहने वाली लड़की सात साल की उम्र से ही एक दुर्लभ लेकिन गंभीर रीढ़ की हड्डी में विकृति से पीड़ित थी। उसकी पीठ सामान्य रीढ़ की हड्डी के मुकाबले असामान्य थी। परेशानी बढती जा रही थी, जिसे देखते हुए मरीज के माता-पिता ने सर्जरी कराने का फैसला लिया।

डॉ आशीष तोमर के मुताबिक लड़की को जुवेनाइल इडियोपैथिक स्कोलियोसिस था। यह एक दुर्लभ स्थिति है जो इलाज के अभाव में जीवन के लिए खतरा बन सकती है। इसमें रोगी रीढ़ असामान्य रूप से टेढी हो जाती है। जिसके कारण स्पाइनल कॉलम एस के आकार में बाएं या दाएं मुड़ जाता है। मानव रीढ़ में 10 डिग्री तक का वक्र सामान्य माना जाता है। हालांकि, 60 डिग्री से अधिक, रीढ़ की हड्डी का वक्र जीवन के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। यह स्थिति बच्चों की कुल आबादी के लगभग 0.5% में मौजूद है।

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जब मरीज को अस्पताल लाया गया, तो लड़की की रीढ 120 डिग्री तक झुकी हुई थी और पिछले एक वर्ष में झुकाव 40 डिग्री तेजी से बढ़ी थी। वह रिस्ट्रिक्टिव पल्मनरी डिजीज से भी पीडित थी। जिसके कारण उसके फेफड़ों में हवा की आपूर्ति सामान्य नहीं थी। यहां बता दें कि बच्चे में की रीढ़ 18 साल की उम्र तक बढ़ती रहती और अगर यह टेढी हो तो हालात आगे चलकर और अधिक बिगड जाते हैं। मरीज का फेफड़ा सिकुड़ता जा रहा था। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इलाज में भी देरी बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती थी।

डॉक्टर के मुताबिक इस तरह की सर्जरी में पैरालिसिस होने का भी जोखिम रहता है। इसलिए, रीढ़ के आसपास के ऊतकों को ढीला करने के लिए एक हफ्ते तक विशेष उपाए करना पडा। इससे कर्व की गंभीरता 120 डिग्री से कम होकर 80 डिग्री हो गई, जिसके बाद मरीज की सर्जरी की गई।

डॉ. आशीष के मुताबिक सर्जरी बेहद मुश्किल थी क्योंकि रीढ़ की छोटी हड्डियों में स्क्रूू डालना एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम होता है। इस तरह की सर्जरी के दौरान आम तौर पर सी-आर्म एक्स-रे मशीन का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन विकृति इतनी अधिक थी कि इस मशीन से भी सहायता प्राप्त करना मुश्किल साबित हो रहा था। कशेरुकाओं के बीच सेतु का निर्माण करने वाली पेडिकल हड्डियाँ सख्त हो गई थीं, इसलिए भी यह सर्जरी जटिल थी।

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हम रीढ़ की विकृति को 75% तक ठीक करने में कामयाब रहे और लड़की अगले ही दिन अपने पैरों पर चलने में सक्षम हो गई। स्पाइनल कर्व 120 डिग्री से घटकर सिर्फ 46 डिग्री रह गया है, जिससे मरीज पूरी तरह ठीक हो गई। उसे चार दिनों के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और अब वह सामान्य जीवन जी सकती है।

लड़की की मां टैनी रानी ने कहा कि रीढ़ की हड्डी के मुड़े होने के कारण, मेरी बेटी सीधी नहीं खड़ी हो सकती थी और उसकी लंबाई मुझसे बहुत छोटी थी। सर्जरी के बाद, वह अब सीधी खड़ी हो सकती है और अचानक मुझसे लंबी हो गई है। मैं परिवर्तन पर अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पा रही हूं।


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