स्टडी में विशेषज्ञों ने किया चौंकाने वाला खुलासा
नई दिल्ली : क्या आप भी आर्टिफिशियल स्वीटनर्स ( artificial sweeteners) यानि, शुगर फ्री का इस्तेमाल करते हैं? शुगर फ्री को लेकर एक ताजा स्टडी ने विशेषज्ञों ने चौंकने वाला खुलासा किया है। मधुमेह (Diabetes) की समस्या वाले ज्यादातर लोग चाय-काफी में चीनी की जगह शुगर फ्री का इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग वजन कम करने के उद्देश्य से भी मीठे से दूरी बनाकर शुगर फ्री लेते हैं। आजकल बाजारों में भी कई ऐसे उत्पाद मौजूद हैं, जिन्हें शुगर फ्री होने का दावा किया जाता है। ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि शुगर फ्री उनकी सेहत के लिए बेहतर होने के साथ मीठे का भी बेहतर विकल्प है लेकिन शुगर फ्री को लेकर की गई ताजा स्टडी के नतीजे कुछ और ही बयां करती है।
नुकसान पहुंचा सकता हैं आर्टिफिशियल स्वीटनर :
ताजा स्टडी में विशेषज्ञों ने पाया कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स ( artificial sweeteners) स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। यह शरीर में ब्लड शुगर का स्तर भी बढा सकता है। साइंस जर्नल सेल (Cell) में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, आर्टिफिशियल स्वीटनर्स ( artificial sweeteners) शरीर के सूक्ष्म जीवों यानी माइक्रो-ऑर्गेनिज्म (micro-organisms in human body) को विपरीत रूप से प्रभावित करता है। इसके लगातार उपयोग करने से कई बार खून में ग्लूकोज की मात्रा भी काफी बढ सकती है। स्टडी के नतीजों से यह स्पष्ट है कि अगर किसी को मधुमेह है, तो शुगर फ्री पिल्स फायदे के बदले नुकसान भी कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीनी या शक्कर में ब्लैंक कैलोरीज की मात्रा होती है। इससे मोटापे की समस्या हो सकती है। ऐसे में विकल्प के तौर पर आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का लोग इस्तेमाल करते हैं लेकिन इससे शरीर में अन्य कई तरह की समस्याएं हो सकती है।
दो तरह की शूगर-फ्री पिल्स है उपलब्ध :
सामान्य तौर पर बाजार में दो तरह के आर्टिफिशियल स्वीटनर्स उपलब्ध हैं। जिसे सैकरीन (saccharin) और एस्पार्टेम (aspartame) के नाम से जानते हैं। इनका ज्यादातर इस्तेमाल केक, टूथपेस्ट, च्यूइंग गम, बोतलबंद ड्रिंक्स और रेडी टू कुक मील्स में किया जाता है। ताजा स्टडी के हवाले से विशेषज्ञों की राय यह है कि इनका उपयोग सीमित मात्रा में और सावधानी से ही करनी चाहिए।
गट बैक्टीरिया को प्रभावित कर सकता है शुगर फ्री :
स्टडी में विशेषज्ञों ने यह पाया कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का इस्तेमाल करने पर गट बैक्टेरिया इन्हें प्रतिक्रिया देते हैं। नतीजतन, ग्लाइसेमिक रिस्पॉन्स में बदलाव दिखाई देने लगता है। आगे चलकर यह मधुमेह से संबंधित समस्याएं भी पैदा कर सकता है। इसके उपयोग से वयस्कों में ग्लूकोज टॉलरेंस (glucose tolerance) का भी स्तर प्रभावित हो सकता है।
पाचनतंत्र हो सकता है प्रभावित :
एक अन्य स्टडीज में विशेषज्ञों ने खुलासा किया है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के उपयोग से शरीर का पाचनतंत्र (मेटाबॉलिज्म) भी प्रभावित हो सकता है। जिसके कारण भूख न लगना या भूख ज्यादा लगने की समस्या भी हो सकती है।
कितनी मात्रा में लेनी चाहिए शुगर फ्री :
भारतीय खाद्य संरक्षा व मानक प्राधिकरण यानी (FSSAI) के मुताबिक लो शुगर का दावा करने वाले उत्पादों में प्रति 100 ग्राम वजन में शुगर की मात्रा 5 ग्राम से कम होनी चाहिए। शुगर फ्री होने के लिए प्रति 100 ग्राम वजन की मिठाई में शुगर की मात्रा 0.5 ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। जबकि, बाजार में मौजूद ज्यादातर उत्पादों में इसकी मात्रा तय मानक से अधिक पाई जाती है।
Read : Latest Health News|Breaking News |Autoimmune Disease News |Latest Research | on https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from Social Bar Menu on the Top of the Website.