बायोलॉजिक्स और बायोसिमिलर इंजेक्शन में क्या हैं अंतर
नई दिल्ली|टीम डिजिटल : Ankylosing Spondylitis (AS) का सामना कर रहे लोग बायोलॉजिक्स (Biologics) और बायोसिमिलर इंजेक्शन (Biosimilar Injection) के नाम से अच्छी तरह परिचित हैं। यह इंजेक्शन न केवल दर्द से राहत दिलाता है बल्कि ज्वाइंट को फ्यूज (joint fusion) होने से भी रोकता है। बॉयोलॉजिकल इंजेक्शन का नाम और उसके फायदे (Benefits of Biologics Injections) तो ज्यादातर लोग जानते हैं लेकिन बायोलॉजिकल इंजेक्शन तैयार कैसे होता है (How is a biological injection prepared), इसके उपयोग के लिए मंजूरी कैसे दी जाती है (How Biologics Injections Are Approved for Use) और बायोलॉजिकल और बायोसिमिलर इंजेक्शन में क्या अंतर है (What is the difference between biological and biosimilar injections)? हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं :
bilogical injection क्या है? (What is biological injection)
जैविक दवाएं, जिन्हें आमतौर पर बायोलॉजिक्स (Biologics) कहा जाता है। यह आमतौर पर दवाओं का एक वर्ग है, जो एक जीवित प्रणाली का उपयोग करके तैयार किया जाता है। जैसे कि सूक्ष्मजीव, पौधे कोशिका, या पशु कोशिका। अन्य सभी दवाओं की तरह ही बायोलॉजिक्स को भी यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ये ड्रग छोटे अणु वाली दवाओं से अलग होते हैं क्योंकि इनका निर्माण बड़े अणुओं के जरिए किया जाता है और इसकी प्रक्रिया अधिक जटिल होती है।
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बायोलॉजिक्स आमतौर पर इंजेक्शन या इंफ्यूजन (IV) के माध्यम से मरीजों को दिया जाता है। AS और रूमेटाइड अर्थराइटिस के अलावा अन्य कई बीमारियों के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है। बायोलॉजिस्क का उपयोग कैंसर के उपचार में भी किया जाता है। बायोलॉजिक्स लंबे समय से चिकित्सा उपचार का हिस्सा रहा है। वर्ष 1980 के दशक से ही इसका उपयोग कैंसर रोगियों के उपचार के लिए किया जाता है। कैंसर के उपचार में इसका इस्तेमाल कई तरह से करते हैं। इसकी मदद से दी जाने वाली इम्यूनोथेरेपी, शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में मदद करती है। जबकि, कुछ बायोलॉजिक्स ट्यूमर के विकास और प्रगति को धीमा करने के लिए तैयार किए जाते हैं। इसका उपयोग कैंसर रोधी उपचारों से होने वाले साइड इफेक्ट को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है।
कैसे तैयार किया जाता है बायोलॉजिक्स (How Biologics Are Prepared)
बायोलॉजिक्स को विशेष इंजिनियरिंग प्रक्रिया के तहत जीवित कोशिका की प्रतिलिपियों को पुन: उत्पन्न या विकसित करके बनाया जाता हैं। इस प्रक्रिया के तहत बेहद सावधानीपूर्वक और नियंत्रित सुविधा में कोशिकाओं को विकसित किया जाता है। इस जटिल प्रणाली में, कोशिकाएं प्रोटीन विकसित करती हैं, जिसकी मदद से दवा तैयार की जाती है। कोशिकाओं के इस विकास के बाद कई हफ्तों तक निरंतर निगरानी की आवश्यकता होती है, दवा बनाने वाले प्रोटीन को निकाला जाता है और अंतिम जैविक दवा प्राप्त होने तक इसे प्यूरिफाई किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एस्पिरिन जैसी छोटी अणुओं वाली दवा में 21 एटम हो सकते हैं। जबकि, बायोलॉजिक्स 25,000 से अधिक एटम्स से बना हो सकता है।
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बायोलॉजिक्स के निर्माण में जीवित कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है। यहां रोचक तथ्य यह है कि बायोलॉजिक की प्रत्येक खुराक में थोड़ी भिन्नता होती है। यानि, इसका प्रत्यके बैच में निर्मित दवा में आंशिक रूप से भिन्नता हो सकती है। इन छोटे अंतरों के कारण ही बायोलॉजिक्स निर्माता यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण संसाधन समर्पित करते हैं कि उनके उत्पाद सभी रोगियों में अनुमानित रूप से लाभ करे। प्राकृतिक विविधताओं को नियंत्रित करने और लगातार सुरक्षित और प्रभावी उत्पाद बनाने के लिए विशेष प्रक्रियाओं को लागू किया जाता है।
बायोलॉजिक्स की मंजूरी के लिए एफडीए समीक्षा प्रक्रिया (FDA review process for approval of biologics)
अन्य सभी दवाओं की तरह ही बायोलॉजिक्स को एफडीए द्वारा उपयोग के लिए विनियमित और अनुमोदित किया जाता है। अनुमोदन से पहले, बायोलॉजिस्क प्रयोगशाला में व्यापक परीक्षण की प्रक्रिया से गुजरते हैं। इसके बाद इसका नैदानिक परीक्षण रोगियों के ऊपर किया जाता है। इन परीक्षणों से प्राप्त जानकारी का उपयोग बायोलॉजिक्स कितना सुरक्षित है और इसकी प्रभावकारिता कितनी है, इसको जांचने के लिए किया जाता है। उनकी जटिल प्रकृति और परिवर्तनशीलता की संभावना के कारण, एफडीए यह सुनिश्चित करने के लिए तय निर्माण प्रक्रियाओं पर विशेष रूप से ध्यान देता है।
बायोलॉजिक को एफडीए द्वारा तब तक मंजूरी नहीं मिलती, जबतक यह सुनिश्चित न हो जाए कि उत्पाद सुरक्षित, शुद्ध और असरदार है। सुरक्षा का निर्धारण उत्पाद के लाभों और उसके जोखिमों से तुलना करके किया जाता है। शुद्धता का निर्धारण यह सुनिश्चित करके किया जाता है कि उत्पाद बाहरी पदार्थ से मुक्त है, और शक्ति का निर्धारण रोग के उपचार में बायोलॉजिक्स की प्रभावशीलता का आकलन करके किया जाता है।
बायोसिमिलर क्या है? (What is a Biosimilar)
बायोसिमिलर भी एक जैविक उत्पाद है, जिसे पहले एफडीए द्वारा अनुमोदित बायोलॉजिक्स के समान विकसित किया गया है। जिसे रेफरेंस प्रोडक्ट के रूप में जाना जाता है। एक बायोसिमिलर में रेफरेंस प्रोडक्ट के मुकाबले किसी तरह की चिकित्सकीय और अर्थपूर्ण अंतर नहीं होना चाहिए। सरल शब्दों में समझें तो पहले से निर्मित बॉयोलॉजिक्स का ही एक दूसरा रूप तैयार किया जाता है, जो सुरक्षा, शुद्धता और प्रभाव में मूल बायोलॉजिक्स के ही समान होता है। इसका नाम मूल बायोलॉजिक्स से अलग होता है।
इसमें मौजूद तत्वों में कई बार मामूली बदलाव भी संभव है। बायोसिमिलर उत्पाद मूल बायोलॉजिक्स की तरह की मरीज को प्रभावित करता है। बायोलॉजिक्स की तरह ही एफडीए बायोसिमिलर की निर्माण प्रक्रिया का बरीकी से ध्यान रखता है। बायोसिमिलर का निर्माता या प्रायोजक, इम्युनोजेनेसिटी (उत्पाद के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया), फार्माकोकाइनेटिक्स (शारीरिक प्रतिक्रिया, मेटाबॉजिस्म या उत्पाद को कैसे उत्सर्जित करता है), और फार्माकोडायनामिक्स (उत्पाद का प्रभाव) जैसे कारकों की तुलना करके इसे साबित करता है।
इंटरचेंजेबल बायोसिमिलर (interchangeable biosimilars)
इंटरचेंजेबल बायोसिमिलर ऐसे बायोसिमिलर होते हैं, जो अतिरिक्त आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। एक रोगी के दृष्टिकोण से देखा जाए तो एक बायोसिमिलर और एक इंटरचेंजेबल बायोसिमिलर के बीच महत्वपूर्ण अंतर होता है। अमेरिकी नियमों के मुताबिक इंटरचेंजेबल बायोसिमिलर को एक फार्मासिस्ट (राज्य के कानून के अधीन) द्वारा रेफरेंस प्रोडक्ट के विकल्प के तौर पर प्रिस्क्राइबर के बिना भी प्रिस्क्राइब कर सकता है। हालांकि, इंटरचेंजेबल बायोसिमिलर सहित सभी बायोलॉजिक्स के लिए एफडीए के उच्च मानक प्राप्त होने का यह मतलब होता है कि इसकी सुरक्षा और प्रभावकारिता को लेकर आश्वस्त रहा जा सकता है।
बायोसिमिलर ब्रांडेड उत्पाद की तरह ही काम करते हैं (Biosimilars work just like branded products)
ब्रांडेड उत्पादों की तुलना में बायोसिमिलर की सुरक्षा और प्रभावकारिता को यूरोप में उनके लंबे इतिहास के जरिए जाना जा सकता है। जहां पहले बायोसिमिलर को वर्ष 2006 में यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए), एफडीए के यूरोपीय समकक्ष द्वारा अनुमोदित किया गया था। तब से 30 से अधिक बायोसिमिलर को विभिन्न रोगों के उपचार के लिए मंजूरी दी जा चुकी है।
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